ये है मेरा भारत..................
आखिर इनका स्वाभिमान कहां पर मर गया !
आखिर इनका स्वाभिमान कहां पर मर गया !
मेरी इस छोटी सी दुनिया में आप सब का स्वागत है.... अब अपने बारे में क्या बताऊँ... सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है, ये ज़मी दूर तक हमारी है, मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ, जिससे यारी है उससे यारी है... वो आये हमारे घर में खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं...
1 टिप्पणी:
aap ka paryas sarhniya hai
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