11.5.11

कविता ---लोकतंत्र का सच्चा रूप...डा श्याम गुप्त...

लोकतंत्र का अर्थ नहीं वह,
जो सब हमको बतलाते हैं |
लोकतंत्र का सही अर्थ अब,
हम सब को ही बतलाते हैं  ||

सबको सब ही अधिकार भला,
इस दुनिया में कब होते हैं ?
पिता,पिता ही होता है . औ-
पुत्र , पुत्र  ही तो  होते  हैं ||

सैनिक राजा जज अपराधी ,
सबके अधिकार सामान कहाँ ?
क्यों  मेले, ठेले,   रेलों में --
अलग अलग दर्जे होते हैं  ||

अलग अलग क्यों वृत्ति भला,
सेवा योजित की होती है |
अलग अलग सुविधाएं भी क्यों ,
मंत्री सन्त्री की होती हैं ||

इसका अर्थ यही है, सबके-
अधिकार सामान नहीं होते |
यथा-योग्य अधिकार ही सदा,
हर व्यक्ति -व्यक्ति के होते हैं ||

जिसके जैसे  गुण व  कर्म हैं ,
मन में जो जनहित भाव खिला |
उसके ही अनुरूप सभी को,
सम्मान व समता भाव मिला ||

सबको अपनी अपनी क्षमता,
और योग्यता के अनुरूप |
कार्य और सम्मान मिले, यह-
लोकतंत्र का सच्चा रूप  ||              

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क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार