अपनी दुनिया अपने हक
अपनी दुनिया अपने हक
'विटनैस द नाइट' किश्वर की दूसरी किताब है। इस किताब में औरतों के साथ भेदभाव, गैर बराबरी का बर्ताव, अनचाही संतान और çस्त्रयों के प्रति पुरूष समाज के पूर्वाग्रह को शब्दों में उतारने का प्रयास किया गया है। लार्ड मेघनाद देसाई की पत्नी किश्वर ने अपने इस उपन्यास का तानाबाना हिंदुस्तान की पृष्ठभूमि में बुना है। यहां वह अपने अब तक के सफर की चर्चा करने के साथ देश और समाज के अहम मसलों पर अपनी राय जाहिर कर रही हैं।
अपनी माटी से गहरा जुड़ाव
मैंने हिंदुस्तान की धरती पर ही जन्म लिया और यहीं मेरी परवरिश हुई है। लिहाजा यहां से गहरा जुड़ाव है। मेरे पिता पुलिस में थे और दूसरे लोगों की तुलना में वे थोड़े अघिक ईमानदार थे, लिहाजा उनका बार-बार तबादला होता था और इस वजह से मैंने दस अलग-अलग स्कूलों में अपनी पढ़ाई पूरी की। कॉलेज में मैंने इकॉनोमिक्स की पढ़ाई की, हालांकि जल्द ही मुझे एहसास हो गया था कि यह मेरा फील्ड नहीं है। इसी दौरान 'इंडियन एक्सप्रेस' और 'फेमिना' जैसे प्रकाशनों में मुझे काम करने का मौका मिला। मैंने यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाई और इसके बाद मैं एनडी टीवी मेंआ गई। ब्रिटेन आने से पहले तक मैं इसी चैनल के साथ थी, फिर अपनी पहली किताब 'डार्लिगजी' के सिलसिले में मैं ब्रिटेन छा गई। इस किताब को इतना अच्छा रेस्पॉन्स मिला कि लेखन को अपनाने का फैसला किया।
औरत कमजोर नहीं
अपने अब तक के कॅरियर में मुझे कहीं ऎसा नहीं लगा कि एक औरत होने के नाते मेरे सामने मुश्किलें खड़ी की जा रही हैं। बल्कि मैं तो कहना चाहूंगी कि औरत होने के बावजूद हर जगह मुझे अच्छा सहयोग मिला। मेरा मानना है कि अगर हम अपना काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से करें तो हमें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। हमारी अपनी दुनिया है और हमारे अघिकारों से हमें कोई वंचित नहीं कर सकता। मैं काफी समय से ब्रिटेन में काम कर रही हूं और यहां भी मुझे कभी ऎसा नहीं लगा कि औरत होने के कारण या फिर दूसरे देश से नाता रखने के कारण मेरे साथ अलग बर्ताव किया जा रहा है। वैसे भी मेरा तो यही मानना है कि एशियाई लोगों की नई पीढ़ी किसी किस्म की नाइंसाफी बरदाश्त कर ही नहीं सकती, क्योंकि वह हर लिहाज से आगे है।
आवाज बुलंद करें
मुझे तब बेहद अफसोस होता है, जब मैं ऑनर किलिंग और जबरन शादी करा देने जैसी घटनाओं के बारे में पढ़ती हूं। हमारे देश में तो ऎसा हो ही रहा है, पर अफसोस की बात यह है कि ब्रिटेन में रहने वाले एशियाई परिवारों के बीच भी ऎसी शर्मनाक घटनाएं हो रही हैं, क्योंकि वे लोग अपनी तमाम बुराइयों के साथ यहां आ गए हैं। ब्रिटेन में ऎसे मामलों को मीडिया बहुत हवा देता है और यहां ऎसे कई संगठन हंै, जो पीडित लोगों की मदद करने के लिए तैयार रहते हंै, इसलिए यहां तो यह उम्मीद की जा सकती है कि हालात में जल्द ही सुधार होगा। लेकिन अपने देश में लोग çस्त्रयों का सम्मान करना कब सीखेंगे, यह मैं नहीं कह सकती। महिलाओं को अपने हक के लिए आवाज उठानी होगी। खास तौर पर उन्हें कोख में ही बçच्चयों को मार डालने की प्रवृत्ति के खिलाफ आवाज बुलंद करनी होगी, उन्हें जताना होगा कि वे अपनी कोख में पल रहे अपने ही अंश को बचाए रखने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार हैं।
8 टिप्पणियां:
It'll be nice to understend something :)
http://bagpacktraveller.blogspot.com/
नव-संवत्सर और विश्व-कप दोनो की हार्दिक बधाई ....
nice to read you
इस सार्थक ओर नवीन जानकारी को हम सब के साथ साँझा करने के लिए आपका आभार
Excellent views....I am deeply impressed. I adore your views and expression. Let me read all gradually and will be back not only with my appreciations but also will write some views on my blog too.
Best wishes
"BAHUT MAZBOOR HOKAR JAB UNHEN HUM BHOOL JATEN HAI
MERE GHAR KE SABHI SHISHEY ACHANAK TOOT JATEN HAIN"
Prof.Rama Kant
बहुत ही सही ढंग से भारत में हो रही महिलाओं के साथ अन्याय को आपने संकलित किया है बहुत बहुत धन्यावाद|
मेरे ब्लॉग पे आयें - www.akashsingh307.blogspot.com
how i wish i could understand something written here...:)...anyway...just blog walking....:)..have a nice day ahead..:)
do follow my blog too..thanx ya..
sunder blog h aapka..
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badhai..
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