8.4.11

पृथिवी


Gulab kothari article
कविताए 
ंटिका रखती है
पृथिवी हमें
और कंपाती भी,
बरसता गगन से
जल और अग्नि,
पवन देता ठिठुरन
और चक्रवात
वही लेकर चलता
ऎश्वर्य सौरभ,
समाहित सभी कुछ
बस एक नभ में
अनासक्त रहता जो
फिर भी सभी से,
बंशी की धुन में
मगन कृष्ण जैसे!

तुम नहीं हो
यहां आद्या
इन दिनों
फिर भी
आती रहती हैं
आवाजें तुम्हारी
मानो उठ रहीं
भीतर आकाश से,
चरण रहते हैं
जहां तुम्हारे
बसता है स्वरूप
मस्त-मौला सा,
लगता है फिर
यहीं हो तुम
हां, आद्या।

पकड़ने लगी हो
शब्दों को हर बार
आद्या!
याद रखना
शरीर है शब्द भी
खो मत जाना
भाष्ाा में, शब्दों में,
पीछे अक्षर है,
ध्वनि और नाद है
जिन पर टिकी है
हर भाष्ाा,
उन्हीं पर टिका है
शरीर हमारा भी।

कठिन है
अच्छा रहना
जीवन में,
निभा लेना भी
सदाचार का,
अर्जुन की तरह
शापित होना
उर्वशी से,
कलयुग में
चारों ओर घिरा
अंधकार, व्यभिचार,
भूले से मिलता
कोई मीठा-भला
और देना पड़ता
उसको भी शाप।

आद्या,
कई रश्मियां
घेरेंगी तुमको
डुबोकर रोशनी में
भांति-भांति की,
और अपेक्षा करेंगी
तुम फैलाओ
उनके प्रकाश को,
यानि मत करो
प्रकट अपने
आत्म-प्रकाश को।
सूर्य का प्रकाश
कैसा लगता है
प्रकाशित होकर
चन्द्रमा से।

मन्द मन्द वायु
फैलाती है
सुगंध
चारों दिशाओं में,
और
क्रोध आते ही
फैंकने लगती हैं
धूल, कांटे
पत्थर-कंकर
राहगीरों पर।

गति हो तुम
ऋ çष्ा हो तुम
यजु हो तुम
आद्या!
कैसे हो जाती
गतिमान अचानक
बिजली की ट्रेन सी,
और ठहर जाती
स्थिति बनकर,
रोककर गति
न केन्द्र है
न ही परिघि
गति है अमूर्त में
ऋ त् में,
ऋ çष्ा हो तुम
आद्या।

छोटा सा जीवन
पानी सा तरल
हवा सा विरल
और कभी चीखता
आंधी की तरह,
उतर जाता कभी
भाटा बनकर,
कैसा संसार तुम्हारा
कैसे संगी-साथी
एक क्षण मानो
दिया बाती
और अगले ही क्षण
निर्मोही बनकर
फैंक जाती।

बनने लगी हैं
कलाएं
आद्या की,
कला भी
काल भी
माया और विद्या
नियति सहित,
राग-द्वेष्ा
अभि निवेश
ईष्र्या
बाल स्वरूप में
लगते हैं
श्ृंगार जैसे
जीवन के।

महाभारत
होता है जीवन
हर किसी का
भीतर भी,
बाहर भी
बैठे हैं न
कृष्ण
सबके भीतर,
कह रहे गीता
सबको अपनी-अपनी
सुन सकते हो
इसको तुम भी
अर्जुन बनकर।

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क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार