20.4.11

सड़कों पर


सड़कों पर हो रही सभाएँ
राजा को-
धुन रही व्यथाएँ

प्रजा
कष्ट में चुप बैठी थी
शासक की किस्मत ऐंठी थी
पीड़ा जब सिर चढ़कर बोली
राजतंत्र की हुई ठिठोली
अखबारों-
में छपी कथाएँ

दुनिया भर
में आग लग गई
हर हिटलर की वाट लग गई
सहनशीलता थक कर टूटी
प्रजातंत्र की चिटकी बूटी
दुनिया को-
मथ रही हवाएँ

जाने कहाँ
समय ले जाए
बिगड़े कौन, कौन बन जाए
तिकड़म राजनीति की चलती
सड़कों पर बंदूक टहलती
शासक की-
नौकर सेनाएँ

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Estou te seguindo meu Blog é:
www.opantanalonline.com
Beijos!

AARTI SHARMA ने कहा…

nice n good

क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार