22.4.11

अन्ना का आह्वान भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंको

Hum Tum special article


किसन बाबूराव हजारे यानी अन्ना हजारे के बारे में कुछ लिखना कलम के साथ न्याय करना नहीं होगा, क्योंकि उनकी निस्वार्थ खूबियों की कतार इतनी लम्बी है कि समय के बीतने का एहसास नहीं होता। पद्मभूषण और पद्मश्री जैसे राष्ट्रीय सम्मान पा चुके समाजसेवक अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी जंग छेड़ दी है। वे भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था के लिए जरूरी लोकपाल विधेयक की लड़ाई लड़ रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल बजाने वाले अन्ना हजारे से हाल ही हुई बातचीत के खास अंश।

आप भ्रष्टाचार रहित व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ रहे हैं। क्या वाकई लोकपाल विधेयक इस मंशा को पूरा कर सकेगा?
मुझे पूरा यकीन है कि लोकपाल विधेयक भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था का निर्माण कर सकेगा। लोकपाल विधेयक में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने की अनुशंसा की गई है। उसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार संबंधी शिकायत पर सबसे पहले संबंघित व्यक्ति को जेल भेज देना चाहिए बाद में तहकीकात की जाए। बडे भ्रष्टाचार में संबंघित व्यक्ति के अलावा परिवार के सभी सदस्यों की संपत्ति जब्त कर नीलाम कर देनी चाहिए। ए राजा जैसे लोगों को सीधा फांसी पर लटका देना चाहिए। लेकिन सवाल ये है कि यह सब सरकार के मुश्किल से गले उतर रहा है। 

मुसीबत में ऎसी कौनसी ताकत है जो आपको हमेशा आगे बढ़ने का हौसला देती रही?
पिछले 35 साल से संघर्ष कर रहा हूं। कोई है जो मेरे पीछे खड़ा मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है। ईश्वर पर मुझे पूरा भरोसा है, जब जिंदगी का मकसद त्याग, बलिदान और शुद्ध आचरण हो जाए तो ईश्वर भी आपके साथ खड़ा होता है। इस बात का एहसास मुझे होता रहा है।

समाज के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा आपको कैसे मिली?
मेरी उम्र करीब 26 साल की रही होगी, उन दिनों मेरी पोस्टिंग पंजाब से सटे खेमकरन में लगी हुई थी। लड़ाई में मेरे सारे साथी मारे गए, मुझे मामूली चोटें आइंü। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मानव जीवन का अर्थ क्या है, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी मुझे इस सवाल का जवाब नहीं मिला। मैंने आत्महत्या करने का मन बना लिया। 

लेकिन ठीक उन्हीं दिनों मुझे विवेकानंद की किताब 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' मिली, वो किताब मेरे जीवन के लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई। मुझे जीवन का मकसद मिल गया कि समाजसेवा में ही जीवन का असली सुख है। और सच कहूं तो बड़े-बड़े उद्योगपतियों को ऎसा आनंद नहीं मिलता होगा जो मुझे लोगों का दर्द बांटने में मिलता है।

सुना है आप हर महीने अपनी  पेशन गांवों के विकास फंड में जमा कर देते हैं। तब आपका खर्च  कैसे चलता है?
मेरा अपना कोई खर्च नहीं है। बस एक वक्त का खाना और दो जोड़ी कपड़े। बच्चों के लिए चल रहे हॉस्टल से खाना मिल जाता है। 8 बाई 10 का एक कमरा है जिसके कोने में एक बिस्तर लगा हुआ है। हर महीने 6 हजार रूपए पेंशन आती है। वो किसी न किसी दीन दुखी की मदद में काम आ जाती है। अभी तक मुझे 25 लाख रूपए  नकद इनाम के रूप में मिल चुके हंै जिनसे हर महीने ब्याज आता है। उस ब्याज से हर साल किसी गरीब की बेटी की शादी हो जाती है।  

आर्मी का अनुशासन आपके जीवन में आज भी कायम है?
बिलकुल, आर्मी की लाइफ ने मुझे मेरा मकसद पूरा करने में बड़ी मदद की। अनुशासन ही था जिसके बूते रालेगन सिद्धी जैसे गांव की तस्वीर बदल सका। उस गांव में  80 फीसदी लोग भुखमरी में जीवन गुजार रहे थे। 40 शराब के ठेके थे। लेकिन आज वहां न तो एक शराब का ठेका है और न ही पूरे गांव में पान, गुटका, बीड़ी का कोई सेवन करता है। 

फिल्में देखना पसंद करते हैं?
आर्मी में जाने से पहले मुझे फिल्मों का शौक था। मैं 50 साल पहले की बात कर रहा हूं। लेकिन उसके बाद तो फिल्मों के नाम तक पता नहीं हैं। 

आपने जीवनभर अविवाहित रहने का फैसला क्यों किया ?
 मुझे अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है बल्कि मुझे खुशी है कि मेरा परिवार इतना बड़ा है कि वहां मैं और मेरा जैसे शब्दों के लिए कोई जगह नहीं है। छोटा परिवार दुख देता है, जबकि बड़ा परिवार आनंद। 
पद्मभूषण और पद्श्री जैसे सम्मान आपके जीवन में कितने मायने रखते हैं।  
मैंने कोई भी काम सम्मान पाने के लिए नहीं किया और न ही मेरा जीवन में इनका कोई मतलब है। मैंने अपने लेटर हेड पर किसी सम्मान का जिक्र  नहीं किया।

अन्ना की जिंदगीसंघर्षो की दास्तां
अन्ना की शख्सियत बडे अनगढ़ तरीके से गढ़ी हुई है। 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे। दादा फौज में। 

दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। वैसे अन्ना के पुरखों का गांव अहमद नगर जिले में ही स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया। अन्ना के छह भाई हैं। परिवार में तंगी का आलम देखकर अन्ना की बुआ उन्हें मुम्बई ले गईं। वहां उन्होंने सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रूपए की पगार में काम करने लगे। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया। छठे दशक के आसपास वह फौज में शामिल हो गए। उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में हुई। 

यहीं पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बचे थे। इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक बुक को पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा। 1970 में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। चट्टान पर बैठकर गांव को सुधारने की बात सोचते रहते। जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने वीआरएस ले लिया और गांव में आकर डट गए।

7 टिप्‍पणियां:

kshama ने कहा…

Interview bahut achha laga! Bade susangat sawaal poochhe gaye!
Dekhiye! Aapne bulaya aur ham haazir ho gaye!

Rajani ने कहा…

"सत्याग्रह शब्द का उपयोग अक्सर बहुत शिथिलतापूर्वक किया जाता है और छिपी हुई हिंसा को भी यह नाम दे दिया जाता है। लेकिन इस शब्द के रचयिता के नाते मुझे यह कहने की अनुमति मिलनी चाहिए कि उसमें छिपी हुई अथवा प्रकट सभी प्रकार की हिंसा का,फिर वह कर्म की हो या मन और वाणी की हो,पूरा बहिष्कार है। प्रतिपक्षी का बुरा चाहना या उसे हानि पहुंचाने के इरादे से उससे या उसके बारे में बुरा बोलना सत्याग्रह का उल्लंघन है। सत्याग्रह एक सौम्य वस्तु है,यह कभी चोट नहीं पहुंचाता। उसके पीछे क्रोध या द्वेष नहीं होना चाहिए। उसमें शोरगुल,प्रदर्शन या उतावली नहीं होती। वह जबरदस्ती से बिल्कुल उल्टी चीज़ है। उसकी कल्पना हिंसा से उल्टी परंतु हिंसा का स्थान पूरी तरह भर सकने वाली चीज़ के के रूप में की गयी है।"

Rajani ने कहा…

' भ्रष्‍टाचार और काले धन '' के खिलाफ आन्‍दोलन पर सरकार और देश की रीति नीति निर्धारित करने वाले कुछ''जवाबदार'' लोगो के रवैये को देखते हुए इतना जरूर कहूगी की ,

लोभ, मोह, अहंकार मे तीनो गये ,
धन ,वैभव और वशं ।
ना मानो तो देख लो ,
कौरव , रावण और कंस ।।

Rajani ने कहा…

' भ्रष्‍टाचार और काले धन '' के खिलाफ आन्‍दोलन पर सरकार और देश की रीति नीति निर्धारित करने वाले कुछ''जवाबदार'' लोगो के रवैये को देखते हुए इतना जरूर कहूगी की ,

लोभ, मोह, अहंकार मे तीनो गये ,
धन ,वैभव और वशं ।
ना मानो तो देख लो ,
कौरव , रावण और कंस ।।

Rajani ने कहा…

280 लाख करोड़ का सवाल है ...
भारतीय गरीब है लेकिन भारत देश कभी गरीब नहीं रहा"* ये कहना है स्विस बैंक के डाइरेक्टर का. स्विस बैंक के डाइरेक्टर ने यह भी कहा है कि भारत का लगभग 280 लाख करोड़ रुपये उनके स्विस बैंक में जमा है. ये रकम इतनी है कि भारत का आने वाले 30 सालों का बजट बिना टैक्स के बनाया जा सकता है.
या यूँ कहें कि 60 करोड़ रोजगार के अवसर दिए जा सकते है. या यूँ भी कह सकते है कि भारत के किसी भी गाँव से दिल्ली तक 4 लेन रोड बनाया जा सकता है.

ऐसा भी कह सकते है कि 500 से ज्यादा सामाजिक प्रोजेक्ट पूर्ण किये जा सकते है. ये रकम इतनी ज्यादा है कि अगर हर भारतीय को 2000 रुपये हर महीने भी दिए जाये तो 60 साल तक ख़त्म ना हो. यानी भारत को किसी वर्ल्ड बैंक से लोन लेने कि कोई जरुरत नहीं है. जरा सोचिये ... हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और नोकरशाहों ने कैसे देश को लूटा है और ये लूट का सिलसिला अभी तक 2011 तक जारी है.
इस सिलसिले को अब रोकना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है. अंग्रेजो ने हमारे भारत पर करीब 200 सालो तक राज करके करीब 1 लाख करोड़ रुपये लूटा.
मगर आजादी के केवल 64 सालों में हमारे Hkz’Vkpkfj;ksa ने 280 लाख करोड़ लूटा है. एक तरफ 200 साल में 1 लाख करोड़ है और दूसरी तरफ केवल 64 सालों में 280 लाख करोड़ है. यानि हर साल लगभग 4.37 लाख करोड़, या हर महीने करीब 36 हजार करोड़ भारतीय मुद्रा स्विस बैंक में इन भ्रष्ट लोगों द्वारा जमा करवाई गई है.

भारत को किसी वर्ल्ड बैंक के लोन की कोई दरकार नहीं है. सोचो की कितना पैसा हमारे भ्रष्ट राजनेताओं और उच्च अधिकारीयों ने ब्लाक करके रखा हुआ है.

हमे भ्रस्ट राजनेताओं और भ्रष्ट अधिकारीयों के खिलाफ जाने का पूर्ण अधिकार है.हाल ही में हुवे घोटालों का आप सभी को पता ही है - CWG घोटाला, २ जी स्पेक्ट्रुम घोटाला , आदर्श होउसिंग घोटाला ... और ना जाने कौन कौन से घोटाले अभी उजागर होने वाले है ........

Rajani ने कहा…

https://mail.google.com/mail/?ui=2&ik=6e34d33e19&view=att&th=131fa88e4fbc9d3f&attid=0.2&disp=emb&realattid=84a7e0f00f9d74fc_0.4&zw

Rajani ने कहा…

यदि अन्ना की शादी हो गई होती तो यह आंदोलन कभी न होता। क्योंकि, तब मामला कुछ ऐसा होता-
1. कहां जा रहे हो ?
2. अकेले तुम्हें ही पड़ी है अनशन में जाने की
3. ये केज़रीवाल का साथ छोड़ो
4. वो बाल कटी वाली लड़की कौन है ? बार-बार बगल में आकर बैठती है
5. शाम तक आ जाओगे न ?
6. पहुंचते ही फोन करना...वगैरह वगैरह..
7. बिजली के बिल देने के पैसे नहीं हैं और आप लोकपाल बिल ले आए हो
8. ये केज़रीवाल तुम्हें मरवाएगा
9. मुन्ना के लिए दो चार फ्री की टोपी ले आना

क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार