22.4.11

मॉडर्न बाबाओं की यूथ ब्रिगेड


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मॉडर्न बाबाओं की यूथ ब्रिगेड 


आज के यूथ ने धर्म, अध्यात्म और प्रवचन जैसे अनछुए समझे जाने वाले क्षेत्र में भी सेंधमारी कर ली है। नतीजा यह है कि धार्मिक चैनल्स और शहर में होने वाले प्रवचनों में यंग बाबाओं का बोलबाला है। जब ये बाबा मन को मोहने वाले बेहतरीन अंदाज, सारगर्भित भाषा में मंच पर ईश्वर का गुणगान करते हैं, तो लगता है मानो अमृत बंट रहा हो। प्रवचन कार्यक्रमों में युवाओं की धमाकेदार एंट्री पर खास पेशकश-  

कथावाचक नहीं शांतिदूत हैं
उनका पूरा नाम है देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज। उम्र 32 साल, लेकिन विचारों में इतना प्रवाह और आवाज में इतनी मधुरता कि जो सुने बस सुनता रह जाए। जब वे कृष्णभक्ति में डूबकर भजन सुनाते हैं तो सुनने वाले सुध-बुध खो बैठते हैं। धार्मिक चैनलों पर धाराप्रवाह से प्रवचन देने वाले ठाकुरजी महाराज मथुरा के रहने वाले हैं और कृष्णभक्ति उनमें कूट-कूटकर भरी है। छह साल की उम्र में ही वे घर छोड़कर वृंदावन पहुंच गए और श्रीधाम में रहने लगे। उन्होंने यहां लंबी साधना की और 18 साल की उम्र में पहली बार भजन संध्या में भाग लिया। इसके बाद तो वे लाखों भक्तों के मन में बस गए। देश के तमाम शहरों में उन्होंने भजन सुनाए, प्रवचन दिए तो उनकी कीर्ति देश के बाहर भी पहुंची। अमरीका, हांगकांग, स्वीडन, डेनमार्क, नार्वे, हालैंड जैसे देशों में धर्म और अध्यात्म की अलख जलाई ठाकुरजी महाराज ने। श्रीकृष्ण और राधा के परम भक्त ठाकुर जी महाराज सिर्फ अध्यात्म का प्रचार-प्रसार ही नहीं कर रहे हैं, जनजागरण की मुहिम भी चला रहे हैं। उनका ट्रस्ट गरीब बच्चों के लिए इंटरमीडियट तक की शिक्षा के लिए आवासीय स्कूल बनवा रहा है, जो दस एकड़ जमीन में फैला हुआ है। देश के मशहूर कथावाचक उन्हें 'शांतिदूत' की संज्ञा देते हैं। श्री निंबार्क संप्रदाय और श्याम शरण देवाचार्य कहते हैं, 'जिस तरह श्रीकृष्ण युद्ध से पहले दुर्योधन के पास शांतिदूत बनकर गए थे, उसी तरह ठाकुरजी दुनिया के सामने शांतिदूत बनकर शांति की अलख जगा रहे हैं।  

देवकीनंदन ठाकुरजी 
देश के अलावा विदेशों में भी भारतीय संस्कृति और श्री कृष्ण का महिमामंडन कर रहे हैं। स्वीडन, डेनमार्क जैसे दर्जनों देशों में उनके हजारों मुरीद हैं। 
देवकीनंदन ठाकुर


यूथ की पहली पसंद
बृजभूमि के पैगौन में 23 जुलाई 1984 को वैष्णव ब्राह्मण कुल मे संजीव कृष्ण ठाकुर का नाम श्रेष्ठ भागवत कथावाचकों में लिया जाता है। उनके कार्यक्रमों में महिला और बुजुर्ग ही नहीं युवाओं की भी अच्छी खासी तादाद रहती है। संजीव का रूझान बचपन से ही भजन-पूजन और प्रवचनों में रहा। नतीजा यह रहा कि वे बहुत कम उम्र में ही हमउम्र बच्चों के बीच प्रवचन देने लगे। संजीव पढ़ने में इतने कुशाग्र थे कि अध्यापक भी हैरत में पड़ जाते थे। उनकी संस्कृत में गजब की पकड़ थी। सात साल की उम्र में ही ठाकुर जी भागवत, रामायण, गीता, शिवपुराण आदि को अपनी दादी अम्मा को सुना दिया करते थे। नौ साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और 12 साल की उम्र में उन्हें व्यासपीठ की गद्दी मिल गई। देश के लगभग सभी हिस्सों और विदेशों में प्रवचन के जरिए धर्म की अलख जगाने वाले संजीव युवाओं की पहली पसंद हैं। 
संजीव कृष्ण

जगाई धर्म की अलख
पुलक सागर महाराज। उम्र सिर्फ 40 साल। दमकते चेहरे पर हल्की दाढ़ी और आंखों पर चश्मा। दुनिया भर के जैन धर्म के अनुयायियों के दिलों में बसते हैं पुलक सागर महाराज। वे धर्म का प्रचार करते हैं, संस्कारों की शिक्षा देते हैं। मुक्ति और मोक्ष का मार्ग बताते हैं, साथ ही धार्मिक कट्टरता, अंधविश्वास और जादू-टोने पर करारा हमला बोलते हैं। पुलक सागर महाराज ने स्नातक की पढ़ाई की और 1993 में ही सार्वजनिक जीवन का परित्याग कर दिया। प्रसिद्ध जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज के साçन्नध्य में मिढ्याजी तीर्थ जबलपुर में उन्होंने ब्रह्मचर्य व्रत लिया। 11 सितंबर 1995 को कानपुर के पास आनंदपुरी में उन्होंने दीक्षा ली और फिर जैन धर्म के प्रचार प्रसार में जुट गए। जैन मुनि पुलक सागर महाराज दिगंबर संत हैं। उनकी वाणी में जैसे कोई जादू है, जब वह प्रवचन करते हैं तो देखते ही देखते हजारों की भीड़ जमा हो जाती है। धार्मिक चैनल बड़े आदर के साथ उनके प्रवचन प्रसारित करते हैं। 
पुलक सागर

महिला गुरू भी पीछे नहीं
आमजन में भक्तिभाव जगाने और धर्म की जड़ को हरी रखने में युवा किशोर ही नहीं महिला गुरू भी खासी तादाद में आने लगी हैं। मां ऋतंभरा से लेकर  शिवानी बहन, बहन नमेश्वरी पंड्या, अमृतानंदमयी मां, आनंदमूर्ति गुरू मां, बह्मकुमारी, गुरू मां आनंदमयी समेत दर्जनों महिला गुरू लोगों को भक्ति रस में डूबोकर उन्हें शांति के मार्ग पर ले जाने की कोशिश कर रही हैं।
शिवानी बहन

हर जुबां पर हो राधानाम
उनके मुख से कृष्णवाणी सुनकर सुधबुध खोना आम बात है। 6 जुलाई 1984 को वृंदावन के श्रीधाम में जन्म लेने वाले गौरव कृष्ण, मृदुल कृष्ण जी के बेटे हैं। पंद्रहवीं शताब्दी में वृंदावन में हरिदासजी महाराज का जन्म हुआ। गौरव कृष्ण उसी परिवार का हिस्सा हैं। गौरव कृष्णजी श्रीमद्भागवत कथा वाचन में निपुण हैं। वैष्णवी परिवार में जन्मे गौरव शुरूआत से ही कृष्ण में आसक्ति रखने वाले रहे। गौरव कृष्ण की कई पीढियां प्रवचन के जरिए मशहूर रही हैं। अपने दादा आचार्य मूलचंद बिहारी शास्त्रीजी  और पिता आचार्य मृदुल कृष्ण शास्त्री का साçन्नध्य गौरव को खूब मिला। वे उनके साथ जाते और उनके रास्ते पर चलते हुए ईश्वर के गुणगान करने लगे। वे कई वेदों के ज्ञाता और संस्कृत के प्रकांड विद्वान हैं। गौरव कृष्ण ने अटारह साल की उम्र में पहली बार भागवत का पाठ किया। सात दिनों तक हजारों लोगों के सामने ऎसे पूरे पांडाल में भक्ति रस की गंगा बहने लगी। कहते है गौरव कृष्ण जब श्रीकृष्ण का गौरवगान करते हैं, तो लोगों को लगता है मानों उनके सामने कृष्ण अठखेलियां कर रहे हैं। कई देशों में भक्ति रस लुटाकर लाखों लोगों को राधेकृष्ण का प्रशंसक बना रहे हैं। कथाओं में हर बार नयापन और ताजगी लोगों को प्रभावित करती है। इतनी कम उम्र होने के बाद भी उनकी वाणी से लोग मंत्रमुग्ध हुए बगैर नहीं रह पाते।
गौरव कृष्ण

यदुनाथ जी महाराज
देश के युवा और ओजस्वी संतों में से एक हैं यदुनाथ जी। गुजरात यूनिवर्सिटी से उन्होंने उच्च शिक्षा ली और मन रम गया धर्म और अध्यात्म में। आज देश और दुनिया में उनकी कीर्ति फैली हुई है। अध्यात्म के साथ ही वह देश और समाज कल्याण से जुड़े कामों बढ़ चढ़कर भागीदारी करते हैं।

धराचार्य जी महाराज
वृंदावन के युवा संत धराचार्य जी देश के जाने माने कथावाचक हैं। श्रीमद्भागवत की कथा समेत कई वेदों के वे मर्मज्ञ माने जाते हैं। कृष्णभक्ति की परंपरा में देश के सबसे लोकप्रिय संतों और कथावाचकों में शामिल हंै धराचार्य जी का नाम। 

आनंद कृष्ण शास्त्री  
आनंद कृष्ण शास्त्री जी 20 वर्ष की आयु में निपुण कथावचक के रूप में प्रतिष्ठित हुए। इनकी कथा शैली इतनी सरस और सरल है कि हर वर्ग के श्रोता भरपूर आनंद लेते हैं। आनंद कृष्ण देश के कई हिस्सों और विदेशों में भी सनातन धर्म प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। 

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क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार