7.5.11

कलाकारीः लोगों को खिलाया महिला के दूध का पनीर

कलाकारीः लोगों को खिलाया महिला के दूध का पनीर

न्यूयार्क की एक कलाकार ने रचनात्मकता दिखाने के लिए कुछ निराला कर डाला। उसने महिला के दूध से पनीर बनाया और उसे एक लेडी चीज शॉप पर लोगों को चखाया भी।
मिरियम सीमन नाम की इस कलाकार ने न्यूयार्क की माइकल मट गैलरी में अपनी कलाकारी दिखाई। उसने ब्रेस्ट मिल्क से पनीर बनाया और गैलरी में लेडी चीज शॉप खोलकर उसने लोगों को यह पनीर चखाया।

मिरियम का कहना था कि पनीर बात शुरु करने का अच्छा तरीका है। इसे स्टार्टर के तौर पर खूब पसंद किया जाता है। कुछ लोगों ने इसकी काफी तारीफ की जबकि कुछ ने मुंह चिढ़ाया।

मिरियम ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि बायोटेक्नोलॉजी में हो रहे विकास ने हमें अपने खाने की नई-नई चीजे विकसित करने में मदद की है। हम जानवरों और यहां तक कि अपनी प्रजाति में भी विकास कर सकते हैं। हम अपने शरीर को फैक्ट्री के तौर पर इस्तेमाल करने के लगातार नए रास्ते खोज रहे हैं। वहीं हम यह भी सोचते हैं कि हमारा लाइफस्टाइल स्वस्थ नहीं है, हम जो कर रहे हैं वो सही नहीं है।
महिला के दूध से बना पनीर परोस कर मैं लोगों को फैसले लेने के लिए आमंत्रित कर रही हूं। या तो इसे खाएं या न खाएं। ऐसा करके मैं इस बात पर रोशनी डालना चाहती हूं कि हम क्या खाना चाहते हैं, हम खुद मैं कैसे बदलाव चाहते हैं और हम भविष्य में कैसे होने वाले हैं।

कलाकारीः लोगों को खिलाया महिला के दूध का पनीर

कलाकारीः लोगों को खिलाया महिला के दूध का पनीर

न्यूयार्क की एक कलाकार ने रचनात्मकता दिखाने के लिए कुछ निराला कर डाला। उसने महिला के दूध से पनीर बनाया और उसे एक लेडी चीज शॉप पर लोगों को चखाया भी।
मिरियम सीमन नाम की इस कलाकार ने न्यूयार्क की माइकल मट गैलरी में अपनी कलाकारी दिखाई। उसने ब्रेस्ट मिल्क से पनीर बनाया और गैलरी में लेडी चीज शॉप खोलकर उसने लोगों को यह पनीर चखाया।

मिरियम का कहना था कि पनीर बात शुरु करने का अच्छा तरीका है। इसे स्टार्टर के तौर पर खूब पसंद किया जाता है। कुछ लोगों ने इसकी काफी तारीफ की जबकि कुछ ने मुंह चिढ़ाया।

मिरियम ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि बायोटेक्नोलॉजी में हो रहे विकास ने हमें अपने खाने की नई-नई चीजे विकसित करने में मदद की है। हम जानवरों और यहां तक कि अपनी प्रजाति में भी विकास कर सकते हैं। हम अपने शरीर को फैक्ट्री के तौर पर इस्तेमाल करने के लगातार नए रास्ते खोज रहे हैं। वहीं हम यह भी सोचते हैं कि हमारा लाइफस्टाइल स्वस्थ नहीं है, हम जो कर रहे हैं वो सही नहीं है।
महिला के दूध से बना पनीर परोस कर मैं लोगों को फैसले लेने के लिए आमंत्रित कर रही हूं। या तो इसे खाएं या न खाएं। ऐसा करके मैं इस बात पर रोशनी डालना चाहती हूं कि हम क्या खाना चाहते हैं, हम खुद मैं कैसे बदलाव चाहते हैं और हम भविष्य में कैसे होने वाले हैं।

6.5.11

दिग्विजय सिंह लादेन

साथियों
इटली से खबर आ रही है की कुछ दिन पहले इंडियन अल कायदा कांग्रेस पार्टी के परवक्ता दिग्विजय सिंह लादेन के फूफा जी का आतंकवादी घटना में पाकिस्तान में निधन हो गया है!
जिसके बाद से ही दिग्विजय सिंह लादेन की इस खबर को सुन कर मानसिक हालत बिगड़ चुकी है,उन्हें इकलोते फूफा जी के निधन से गहरा सदमा लगा है और वो सदमे की हालत में अर्नगल वयान दे रहे है !
वो जल्द ही समंदर यात्रा पर निकलने वाले है,वो इसलिए की उनके फूफा के शव को तलाश कर पूरे राजकीय सम्मान के साथ १० जनपथ पर २१ तोपों की सलामी के साथ सुपुर्दे खाक किया जा सके!
इसके साथ साथ उन्होंने इंडियन अल कायदा कांग्रेस से अपील की है ओसामा बिन लादेन को भारत रतन दे कर सम्मानित किया जाये,और २१ दिन का राजकीय शोक रखा जाये!
इसके साथ साथ गुप्त सुचना ये भी है की कपिल सिब्बल लादेन इस खबर को सुन कर कौमा में चले गए है,इसी लिए उनका रास्ट्र के नाम कोई सन्देश नहीं आ रहा ताऊ जी के आकस्मिक निधन पर,जिसका आम भारतीय बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे!
सरकारी हलको में चर्चा गर्म है की महानरेगा को बंद करके अल कायदा कांग्रेस पार्टी दिग्विजय सिंह के फूफा जी के नाम पर आ लादेन नाम की योजना शुरू करने वाली है,जिसमे बेरोजगार आतंकवादियों को रोजगार दिया जायेगा ३६५ x २४ के हिसाब से!
भगवान् दिग्विजय सिंह लादेन को इस दुःख की घडी में इस अपार दुःख को सहने की ताकत दे!
जय क्रांति जय हिंद

दिनेश पारीक

आस्था पर हमला


   १ मई २०११ को हिंदुस्तान दैनिक में प्रकाशित समाचार ''कांधला के ऐतिहासिक मंदिर में चोरी''और ४ मई २०११ को प्रकाशित समाचार ''चोरी हुई मूर्ति खंडित अवस्था में मिली''से कांधला में पुलिस व्यवस्था की खामियों का सहजता से पता चलता है क्योंकि ये चोरी वहां सुबह और शाम की पूजा के बीच में हुई और दिनदहाड़े हुई इस वारदात को खोलने में पुलिस अभी तक नाकाम है.जबकि चोरी हुई कुछ मूर्तियों में से लक्ष्मी ,कुबेर, हनुमान की मिश्रित धातु की प्रतिमाएं तथा राधा कृष्ण की चोरी की प्रतिमा चोर खंडित अवस्था में मंदिर में पोलीथिन में वापस सफलता पूर्वक पहुंचा चुके हैं.
                    अन्दोसर नाम के इस शिवालय की पृष्ठभूमि यह है किवर्तमान में स्थित शिवालय के उत्तर में एक बाग़ था  बाग़ के उत्तर में एक सरोवर था जिसमे कमलगट्टे आदि का उत्पादन किया जाता था इस सरोवर का नाम आनंद सरोवर था .इस प्रकार यह वर्तमान शिवालय ''आनंद सरोवर शिवालय ''के नाम से विख्यात था इसका अपभ्रंश ही अब ''अन्दोसर शिवालय'' है.
                   वर्तमान  में  अन्दोसर शिवालय के नाम से विख्यात यह मंदिर कांधला का सबसे विशाल क्षेत्र में फैला मंदिर है जिसकी काफी भूमि कृषि कार्य में प्रयुक्त की जाती है .मंदिर के इतिहास के बारे में यहाँ के स्थानीय संवाददाता अधूरी व् असत्य जानकारियां समाचार पत्रों में अपने नाम से प्रकाशित करते रहे हैं जबकि अधिकांशतया समाचारपत्रों में इस सम्बन्ध में भ्रामक जानकारी ही दी गयी है.अब जब यहाँ मेरे जीवन में पहली बार चोरी की कुत्सित घटना घटित हुई तब मेरे मन में इस मंदिर के इतिहास के बारे में जानने की जिज्ञासा जाग्रत हुई और मैंने इस सम्बन्ध में खोजबीन कर कुछ तथ्य एकत्र किये जो आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ.-
       राजस्व अभिलेखों में यह शिवालय ''शिवाला हकीम शिवनाथ''के नाम से भी दर्ज था. क्योंकि १८०० इसवी के प्रारंभ में इस शिवालय के स्थापना हकीम शिवनाथ निवासी कांधला ने की थी जो पुर्सिवाडा[पंजाब] से आकर क़स्बा कांधला के निवासी हो गए थे.अंग्रेजी शासनकाल में शामली में मुंसिफ शामली का न्यायालय स्थित था .इस शिवालय की भूमि के दक्षिण भाग के मालिक हकीम शिवनाथ थे तथा इस शिवालय में उत्तर कीभूमि की मालिक मोहल्ला सरावज्ञान क़स्बा कांधला निवासी एक महिला थी कागजात में ये दर्ज है कि हकीम शिवनाथ ने उक्त महिला वाले भाग में भगवान शिव के लिंग[पिंडी]की स्थापना करा दी थी जिस पर उक्त महिला व् मोहल्ला सरावज्ञान के जैन बिरादरी के दो व्यक्तियों ने मुंसिफ शामली के यहाँ एक दीवानी वाद प्रतिनिधि के रूप में दायर किया था जिसमे मुंसिफ शामली ने तहसीलदार बुढ़ाना को आयुक्त नियुक्त करके  ये आदेश दिया था कि वे मौका मुआयना करके न्यायालय को ये रिपोर्ट दें कि क्या शिवलिंग की स्थापना जैन महिला के भाग में हुई है ?तहसीलदार बुढ़ाना ने विवादित  स्थल का निरीक्षण करने के बाद न्यायालय को ये रिपोर्ट दी थी कि शिवलिंग की स्थापना जैन महिला की भूमि में हुई है परन्तु शिवलिंग को वहां से हटाया जाना उचित नहीं है क्योंकि इससे क़स्बा कांधला के हिन्दू समाज की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी इसलिए जैन महिला को एक आना मुआवजा दिलाया जाये.न्यायालय ने तहसीलदार बुढ़ाना की रिपोर्ट स्वीकार कीथी और जैन महिला को एक आना मुआवजा दिला दिया गया था .तभी से उक्त शिवालय स्थापित चला आ रहा है .
ये तथ्य श्री कौशल प्रसाद एडवोकेट जी द्वारा मुझे पता चले हैं श्री कौशल प्रसाद एडवोकेट जी हकीम शिवनाथ जी के वंशज हैं और उन्होंने ये बताया कि उन्हें ये तथ्य अपने ही पूर्वज पंडित श्री ताराचंद जी से पता चले और ये भी कहा कि उनके पास मुंसिफ शामली के आदेश की डिक्री भी है जो उर्दू में लिखी गयी है.
             अंत में मैंने उनसे जानना चाहा कि जैसे कि लगभग हर मंदिर का प्रबंध स्थापना करने वालों के वंशजों के हाथ में होता है तो हकीम शिवनाथ जी ने इस मंदिर का प्रबंध अपने वंशजों के हाथ में क्यों नहीं दिया तो वे मुस्कुरा कर कहते हैं वे जानते थे कि ऐसी सम्पदा से बाद में विवाद पैदा होते हैं और वे नहीं चाहते थे कि उनके परिवार के लोग आर्थिक स्थिति बिगड़ने की स्थिति में मंदिर से कोई अनुचित आर्थिक लाभ उठायें इसलिए उन्होंने मंदिर का प्रबंध किसी वैश्य परिवार के हाथों में सौंप दिया.
                     इस प्रकार की भावना रखने वाले स्थापक द्वारा स्थापित ये मंदिर आज ऐसी स्थिति से जूझ रहा है ऐसे में वर्तमान प्रबंधकों और पुलिस विभाग दोनों का कर्त्तव्य है कि जल्द से जल्द चोरी खोलें और मंदिर को उसके प्राचीन भव्य स्वरुप में लाने में सहयोग करें.
                                                           शालिनी कौशिक [एडवोकेट]

5.5.11

धोखा दे रहे हैं अन्‍ना : ये जन की नहीं एलीट ग्रुप की कमेटी है


धोखा दे रहे हैं अन्‍ना : ये जन की नहीं एलीट ग्रुप की कमेटी है

अन्ना हजारे का कद इस आंदोलन के बाद बहुत बड़ा हो गया है उन्होंने मुख्यमंत्रियों को प्रमाण-पत्र बांटना शुरू कर दिया है, लेकिन पहले अन्य बातों का जिक्र करुंगा उसके बाद आउंगा प्रमाण पत्र पर। सबको मालूम है मैं शराबी नहीं, कोई पिलाये तो मैं क्या करुं। कुछ इसी तर्ज पर चल रहा है यह सारा ड्रामा। मैं गांधीवादी हूं, अब कोई मुझे भ्रष्ट बना दे तो मैं क्या करुं। आजतक यह मुल्क नहीं जान पाया कि नेहरू के लिये गांधी जी की कमजोरी का राज क्या था? वह कौन सा कारण था जिसके कारण गांधी जी सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने के लिये परेशान हो गये थे और अन्तोगतवा हटाकर ही दम लिया।
बजाज और बिरला की सुभाष चन्द्र बोस से क्या दुश्मनी थी? सुभाष चन्द्र बोस में क्या खामी थी? ठीक वैसा ही प्रश्न आज फ़िर खड़ा हुआ है। इस बार भी हथियार वही अनशन का है। सरकार और अन्ना के बीच समझौता हो गया लेकिन प्रश्न अभी भी कायम है। जब टूजी घोटाले में अहम खुलासे हो रहे थे और कुछ नामी बिजनेसमैन तथा पत्रकार उसकी चपेट में आ चुके थे तथा कानून को जानने वाले यह अनुमान लगा रहे थे कि बहुत जल्द कुछ सनसनीखेज गिरफ़्तारी होगी, सीबीआई के द्वारा ए राजा के खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। अभी उस चार्जशीट पर चर्चा करने की जरूरत थी, यह देखना था कि सीबीआई ने सही तरीके से साक्ष्य इकट्ठे किये हैं या मनमोहन सिंह या अन्य मंत्रियों के खिलाफ़ साक्ष्य आये है या नहीं, करुणानिधि और उनके कुनबे के खिलाफ़ क्या साक्ष्य सीबीआई ने इकट्ठे किये हैं? लेकिन ठीक उसी वक्त अन्ना का यह ड्रामा जो पूर्व घोषित था शुरू हुआ।
पांच दिन तक चलने के बाद इस ड्रामे का पहला एपिसोड खत्म हुआ। अन्ना के इस समझौते में आमजन की हार हुई और एलीट क्लास जन की जीत यानी 8 से 10 लोग जो खुद को सिविल सोसायटी कहते हैं उनकी जीत हुई। इसमे सरकार नहीं झुकी, अगर कोई झुका-टूटा तो इस देश की टी शर्टआम जनता, जिसके प्रतिनिधि बन गये एलीट क्लास के कुछ लोग। अन्ना के इस पूरे आंदोलन को मैं एक धोखा मानता हूं, देश के करोड़ों लोगों को छलने का पाप। एलीट क्लास के कुछेक लोग जो सिविल सोसायटी का लबादा ओढ़कर पूरे देश की जनता के घोषित (अघोषित नहीं क्योकि उन्होंने शुरुआत ही की जन लोकपाल नाम से) प्रतिनिधि बन बैठे। यह पूरा ड्रामा देश की जनता का भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बढ रहे आक्रोश को खत्म करने या कम से कम शांत करने के लिये था और वही हुआ। लेकिन इस ड्रामे के कारण इमानदार पत्रकारों की जिम्मेवारी बढ़ गई। किसको बचाने के लिये अन्ना का ड्रामा शुरू हुआ था, यह पता लगाना पत्रकारों का दायित्व है।
दूसरी बात जो पांच नाम अपने चहेतों के अन्ना ने सुझाये हैं लोकपाल के सदस्य के रूप में उनकी असलियत को जनता के सामने लाना जरुरी है। शांति भूषण, प्रशांत भूषण यानी डायनेस्टी यहां भी। हेगडे़, केजरीवाल तथा खुद अन्ना। ये वह नाम हैं जो अभी तक प्राप्त सूचना के अनुसार अन्ना ने दिये हैं। सबसे पहले मैं बखिया उधेड़ता हूं, अन्ना के ड्रामे का। पारदर्शिता की बात करने वाले अन्ना ने सरकार के नुमाइंदों से सारी बातें बहुत ही गुप्त तरीके से की। क्या-क्या बातें हुईं किसी को नहीं पता। सिर्फ़ अन्ना के दूत और सरकार के प्रतिनिधि जानते हैं। यह कैसी पारदर्शिता थी माननीय अन्ना जी। जो लोग सहानुभूति दिखाने के लिये बोट क्लब पर जमे थे उनको अंधेरे में क्यों रखा? सरकार और अन्ना के दूतों के बीच क्या चल रहा है उसे पूरी परदर्शिता के साथ उन समर्थकों को क्यों नहीं बताया? सहमति के पहले देश की जनता से राय क्यों नही ली?
अब आता हूं अन्ना के द्वारा प्रस्तावित नामों पर। केजरीवाल के बारे में मैं इसके अलावा ज्यादा नहीं जानता कि वह भारतीय रेवेन्यू सेवा में थे और बहुत सारे मलाइदार पद पर रह चुके हैं। इस एलीट बिल के परिभाषा वाली धारा 2 में परिभाषित व्हिसल ब्लोअर वाला प्रावधान केजरीवाल की देन है, जिसके तहत सरकारी सेवक यानी आला अधिकारियों के तबादले, प्रोन्नति, उनके खिलाफ़ विभागीय कार्रवाई जैसे मसले की सुनवाई भी लोकपाल के दायरे में आयेगी। पहले इसके लिये कैट की व्यवस्था थी और कैट के खिलाफ़ अभी तक भ्रष्टाचार की बहुत कम शिकायतें सामने आई हैं। कैट के कुछ फ़ैसले तो बहुत ही अच्छे माने गये हैं, उन फ़ैसलों में से एक रहा है सरकारी ठेके में काम कर रहे मजदूर को भी कैट ने केन्द्र सरकार के अधीन काम करनेवाला मानते हुये क्षतिपूर्ति का आदेश दिया था। अब अन्ना ब्रांड एलीट लोकपाल लागू हो जाने के बाद कैट की कोई जरूरत नहीं रह जायेगी या फ़िर कुछेक मामलों की सुनवाई लोकपाल ही करेगा। किसी भी अधिकारी पर कोई भी विभागीय कार्रवाई होगी तो वह इसे पूर्वाग्रह से ग्रसित कहते हुये लोकपाल का दरवाजा खटखटाना शुरू कर देगा।
खैर अब तो एक नई समिति नये सिरे से लोकपाल बिल ड्राफ़्ट करेगी और उस समय देखा जायेगा कि यह तीसरा मिला-जुला लोकपाल बिल क्या है। मैं केजरीवाल के बारे में प्रभाष जोशी द्वारा कही गई बातों के अलावा कुछ विशेष नहीं जानता इसलिये उनके चरित्र और कार्य के बारे में फ़िलहाल कोई टिपण्णी नहीं करुंगा. अन्ना हजारे के बारे में बहुत कुछ पढ़ चुका हूं, सुन चुका हूं और महाराष्‍ट्र के कुछेक मित्रों ने भी बताया है, सबकुछ ठीक-ठाक तो नहीं है फ़िर भी अभी और तहकीकात कर रहा हूं, इसलिये उनके उपर भी कोई टिपण्णी नहीं करुंगा। अब बच गये जज संतोष हेगडे़, शांति भूषण और प्रशांत भूषण तो इन तीनों महानुभावों को लोकपाल ड्राफ़्ट बनाने वाली समिति का सदस्य बनाने का मैं विरोधी हूं। इस देश का कोई न्यायाधीश यह नहीं कह सकता कि उसने निर्दोष को सजा नहीं दी है, कारण है न्यायिक व्यवस्था। संतोष हेगडे़ उच्चतम न्यायालय तक पहुंचे हैं, बहुत पाप करने के बाद ही वह मुकाम हासिल होता है, अपने से सीनियर जजों की चमचागीरी, तरक्की के लिये निर्दोषों को सजा देने जैसे कार्य को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। संतोष हेगडे़ सदस्य बनने की योग्यता नहीं रखते।
शांति भूषण तथा प्रशांत भूषण को सबसे पहले यह बताना पडे़गा कि कितना इनकम टैक्स की चोरी किये हैं। इनकम टैक्स की चोरी सभी बडे़ वकील करते हैं। फ़ीस की कोई रसीद तो दी नहीं जाती। चूकिं मैं स्वंय प्रशांत भूषण से एक मुकदमा, जो मेरे क्लाइंट का था, उसके संबंध में बात कर चुका हूं। फ़ीस की बात तो छोड़ दें किसी बनिया से भी बडे़ बनिया हैं प्रशांत जी। दोनों पिता-पुत्र भी सदस्य बनने की योग्यता नहीं रखते। 25 हजार से लेकर 40 हजार तक फ़ीस का दायरा है प्रशांत भूषण का। वह भी तब जब एसएलपी की ड्राफ़्टिंग दूसरे ने की हो। दूसरी बात दोनों भूषण से ज्यादा योग्य-काबिल तथा ईमानदार वकील उच्चतम न्यायालय में हैं, जो वास्तव में लोकपाल बिल को ड्राफ़्ट करने की योग्यता रखते हैं। वेणु गोपाल से लेकर सोली सोराब जी जैसे अनेकों नाम हैं। एक और बहुत बड़ी गलती शांति भूषण ने की है। अवमानना के एक मुकदमे में, जो उनके पुत्र के उपर उच्चतम न्यायालय में चल रहा है, उसमे एक बंद लिफ़ाफ़ा उच्चतम न्यायालय में दाखिल किया था। उस लिफ़ाफ़े में उच्चतम न्यायालय के भ्रष्ट जजों का नाम था, आज तक हिम्मत नहीं हुई उन नामों को उजागर करने की। कारण सिर्फ़ न्यायालय का डर। जो आदमी इतना कायर हो कि कोर्ट के डर से भ्रष्टाचारियों का नाम नहीं उजागर करे वह किसी भी स्तर पर जन आंदोलन से जुड़ने की योग्यता नहीं रखता।
अब यह अन्ना के उपर है कि वे इन तीनों का नाम वापस लेते हैं या इनको योग्य होने का प्रमाण-पत्र देते हैं। वैसे अन्ना अब मुख्यमंत्रियों को भी प्रमाणपत्र देने लगे हैं। हालाकि अन्ना के प्रमाण-पत्र देने के बाद भी मैं खिलाफ़ ही रहूंगा। मैंने अन्ना को एक पत्र लिखना शुरू किया था जिसमें कुछ सवाल थे, परन्तु अन्ना ने अनशन तोड़ दिया इसलिये अब उस पत्र में कुछ संशोधन के साथ अन्ना को भेजूंगा। जवाब तो देना ही होगा। मेरे जैसे लोग भेड़ नहीं बन सकते और भेड़ से अलग मानसिकता वाले करोड़ों लोग हैं इस मुल्क में। पत्रकारों से एक ही गुजारिश है, वे अनशन के पीछे के सच को सामने लायें। इसके लिये बहुत मेहनत की जरूरत नहीं है। दिल्ली में बैठा कोई भी ईमानदार पत्रकार यह कर सकता है। बस आप टेंट से लेकर सारा साजो सामान जो लगा था धरना स्थल पर, वह किसने लगवाया तथा उसका भुगतान किसने किया यह पता लगाना शुरू कर दें सच सामने आ जायेगा।
एक और ड्रामे का जिक्र भी यहां कर देता हूं, हालांकि उसका इस पूरे प्रकरण से कोई नजदीक का रिश्ता नहीं है बस सिर्फ़ रोटी सेंकने और अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनने वाली बात है। चूंकि मेरे खुद के राज्य बिहार से जुड़ा है इसलिये जिक्र कर रहा हूं वरना जरूरत भी नहीं थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बडे़ जोश-खरोश के साथ स्वागत किया अन्ना का और अपने बयान में कहा कि बिहार भ्रष्टाचार विरोधी कानून बनाने वाला पहला राज्य है, उन्होंने अन्य राज्यों से इसी तरह का कानून बनाने की अपील की है। बिहार में एक अधिकारी है आईएएस हैं फ़िलहाल पटना के कमिश्नर हैं नाम है केपी रमैया। यह बिहार के भ्रष्टतम अधिकारियों में से एक हैं। इन्‍होंने सरकार की जमीन को भी निजी हाथ में सौपने का काम किया है। मैं एक बार नहीं दसियों बार नीतीश को ई-मेल भेजकर इसके खिलाफ़ जांच की मांग कर चुका हूं। इस पाखंडी नीतीश की हिम्मत नहीं हुई जांच कराने की। आज भी मैं अपने मांग पर डटा हुआ हूं। सीबीआई से केपी रमैया के खिलाफ़ जांच कराओ। मेरे पास बहुत सारे तथ्य भी हैं। नीतीश को भी अन्ना ने ग्राम सभा के क्षेत्र में काम करने के लिये प्रमाण पत्र दिया है। अन्ना के प्रमाण-पत्र की बात पढ़कर मुझे बहुत हंसी आई और अन्ना की बुद्धि पर तरस भी आया।
बिहार में ग्राम सभा लूट का सबसे बड़ा केन्द्र बन चुकी है। नरेगा, आंगनबाड़ी, राशन दुकान, शिक्षकों की बहाली जैसे कार्यों में सिर्फ़ भ्रष्टाचार है। सारे मुखिया भ्रष्ट हैं। अन्ना को मेरी चुनौती है, मात्र 50 मुखिया बताओ जो आपको को भ्रष्टाचारी न लगे अन्यथा यह बताओ कि आपने किस आधार पर बिहार की ग्राम सभाओं की प्रशंसा की। अन्ना हजारे जी आप बुजुर्ग हैं, आपने बहुत सारे अच्छे और प्रशंसनीय सामाजिक कार्य किये हैं, लेकिन मैं उन गदहों में  से नहीं हूं जो आंख मूंदकर आपकी सभी वाहियात और फ़ालतू बातों पर विश्वास कर ले। आगे से मेरा सुझाव है कि इस तरह की तथ्यहीन बात न करें अन्यथा आप हंसी के पात्र बनकर रह जायेंगे। अब बंद करता हूं फ़िर मिलेंगे जब शुरू होगा अन्ना का अगला एपिसोड। अन्ना के आंदोलन की मार्केटिंग भी शुरू हो चुकी है। एक टी शर्ट बनाने वाली कंपनी का अन्ना ब्रांड शर्ट की तस्वीर भी भेज रहा हूं।


2.5.11

तुम बहुत गंदी औरत हो!


तुम बहुत गंदी औरत हो!

क्या पुरुष की यौन इच्छाओं को पूर्ण करना ही नारी है : अनगिनत सवालों ने मुझे कभी परेशान नहीं किया, हर सवाल का उत्तर मैं खोज लेती और अपने आप को उन सवालों के घेरे से बाहर निकाल लेती, पर यह प्रश्न मेरे अंतःकरण को अनगिनत सवालों के मायाजाल में ऐसे फंसा लिया कि मैं अभिमन्यु की तरह अपने आप को चक्रव्यूह में फंसा महसूस करने लगी और तिल तिल घुटने लगी! इस प्रश्न से मेरी अंतरात्मा विचलित होने लगी! इस प्रश्न ने मेरे पूरे व्यक्तित्व को बदल कर रख दिया था! यह प्रश्न एक महिला ने मुझसे तब किया जब मैंने उसके पति का सत्य रूप उसके तथा उस पुरुष के जन्मदाता के सामने रख दिया था!
उसे मेरे सत्य पर कोई विश्वास नहीं हुआ उसे लगा की मैं झूठा आडंबर कर रही हूँ या यूं कहें कि उसके पति परमेश्वर ने जो मेरा रूप उसे दिखाया, उस मायाजाल में फंसकर वो मेरे चरित्र का चरितार्थ नहीं कर पा रही थी और अनगिनत ह्रदय आच्छादित करने वाले शब्द बाणों से मेरे ह्रदय को विच्छेदित कर रही थी और मैं विषम सी उसके शब्द बाणों को झेल रही थी, उस दिन से यह प्रश्न मेरे अंतःकरण को खाए जा रहा था! क्या वह सत्य कह रही थी ?
मैं हूँ क्या? क्या है मेरा व्यक्तित्व? क्या वाकई में मैं औरत हूँ? अगर हूँ तो क्या सच में गन्दी औरत हूँ? औरत का क्या रूप होता है?  इन अनंत सवालों में मेरा फंसा मन अपने आप से प्रश्न करता रहा और मैं उत्तर खोजती रही, पर आज उन सवालों के मायाजाल से निकलकर सारे प्रश्नों के उत्तर दे रही हूँ स्वयं को और आज मैं कह सकती हूँ कि हाँ! मैं नारी हूँ ! मुझमें नारीत्व के सारे गुण हैं! मैं अपने सारे फ़र्ज़ निभा रही हूँ! मैंने सत्य अवलोकन किया, सत्य मार्ग चुना तो मैं गन्दी कैसे हो सकती हूँ? मेरे ईश्वर ने जो सत्य मार्ग मुझे दिखाया मैं उसी पर चली हूँ! मेरे ईश्वर ने जो कहा मैंने वही मार्ग चुना, वही किया जो उसकी मंशा थी और यह भी सच है कि कोई मनुष्य दूसरे जैसा नहीं हो सकता! हर मनुष्य का एक रूप होता है और वह उसी के अनुसार अभिनय करता है! मैंने भी वही किया तो मैं गलत कैसे हो सकती हूँ? यह तो उस औरत की अन्तः कुंठा थी, जो उसके शब्दों से बाहर निकलकर आई थी!
रही बात प्रश्नोत्तर की तो यदि भोजन बनाना, कपडे धोना, बच्चों का लालन-पालन करना ही औरत होता है तथा परिवार को भोजन कराना औरत होता है तो एक नौकर भी पूरी श्रद्धा भाव से अपने स्वामी की सेवा में पूर्णतया समर्पित होता है! चाहे वो नर हो या नारी, वह अपने मालिक के लिए भोजन भी बनता है, कपडे धोता है, घर की देखभाल करता है, तब तो वो सच में एक नारी होता है और नारी से ज्यादा महान होता है! क्या पुरुष की यौन इच्छाओं को पूर्ण करना ही नारी है? संतान को जन्म देना और उनका लालन-पालन करना नारी रूप है तो मुझे लगता है कि यह स्वार्थ पूर्ण रूप है!
नारी का रूप इतनी सीमित सीमाओं में कैसे बंधा हो सकता है ? यदि उसके लिए यही नारी का रूप है तो मुझे लगता है कि शायद उसके हिसाब से मैं नारी नहीं हूँ क्योंकि मेरा रूप इससे व्यापक है-
"नारी प्रकृति है
नारी धरा है
सृजन की शक्ति
ईश्वर में है
पर नारी सृजनकर्ता है
नारी सृष्टि पालक है
नारी असीम अस्मिता है"
और यदि मैंने गलत को गलत कहा, गलत को सुधारने के लिए उसका अपमान किया तो इसका मतलब मैं नारी नहीं, यह गलत है, क्योंकि यदि मैंने उस पुरुष को डांटा, उसे बुरा-भला कहा तो मैंने माँ का रूप निभाया! माँ भी अपने बच्चे को उसकी गलती पर डांटती है और मारती भी है! यदि मैंने उसकी निंदा की और उसे बार-बार जताया कि तुम्हारा रास्ता गलत है तो मैंने एक अच्छे मित्र की भूमिका निभायी! यदि मैंने उसका बुरा स्वरुप उसके जन्मदाता को दिखाया तो मैंने एक गुरु की भूमिका निभायी और यदि मैंने उसका सच दुनिया के सामने लाने का प्रयास किया तो सच्चे समाजसेवक की भूमिका निभाकर कई जिंदगियों को बचा लिया और शायद मैंने अपना अच्छा प्रयास किया तो इतना कुछ करने के बाद भी अगर कोई यह प्रश्न उठाता है कि मैं नारी नहीं हूँ तो यह प्रश्न उसके लिए प्रश्नचिन्ह है?
नारी जननी है
नारी गृहणी है
नारी भगनी है
नारी ब्रहम संसार
नारी नहीं तो यह पुरुष कैसा
क्योंकि नारी के गर्भ में
सिमटा जीव संसार
नारी की जब स्मिता पर
होता है प्रहार
तो वही बन जाती है
अग्नि का अंतिम द्वार
क्योंकि स्त्री का मतलब गुरु बनकर सत्य मार्ग दिखाना, माँ बनकर गलत राहों से बचाना, सखा बनकर सत्य और झूठ का परिचय कराना है ! स्त्री सृजनात्मक शक्ति है, वह माँ है, जन्मदात्री है! वह जीवन के मूल स्त्रोत से जुड़ती है और सौम्य है! उसकी शक्ति करूणा है, उसकी शक्ति ममता है! उसकी शक्ति सूरज जैसी नहीं है, उसकी शक्ति चन्द्रमा जैसी है! क्रोध आने पर वह प्रचंड अग्नि के समान होती है तथा सौम्य होने पर जल का प्रवाह कर देती है यह सत्य रूप है नारी का! मैं भी यही रूप हूँ और हमेशा रहूंगी ....।

1.5.11

क्या आपको कुछ पता है खुशदीप जी के बारे में Anger


हालांकि ख़बर तो कुछ यूं बननी चाहिए थी कि खुशदीप जी ने छोड़ दी है हिंदी ब्लॉगिंग। लेकिन यह एक झूठी बात होती। आदमी आवेश में आकर ग़लत फ़ैसले ले ही लेता है और फिर जब उसे अहसास होता है कि वह गुस्से में आकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार बैठा है तो वह अपने फ़ैसले से पलट जाता है और कहता है कि उसने अमुक आदमी के समझाने पर या अमुक कारण से अपना विचार बदल दिया है। तब भी वह स्वीकार नहीं करता कि उसका फ़ैसला ग़लत था। जल्दी ही आप खुशदीप जी के बारे में भी ऐसा ही होता देखेंगे।
इस विषय में ज़्यादा जानकारी के लिए आप देख सकते हैं: 

कुछ सवाल : हिंदी ब्लॉग जगत से


नमस्कार सभी सम्मानीय ब्लोगर्स...

आज मैं यहाँ किसी भी प्रकार का सुझाव या किसी ब्लॉगर पर टिप्पणी करने नहीं आया हूँ... आज तो बस मैं अपने दिल में उठ रहे कुछ सवालों का जवाब मांगने आया हूँ इस ब्लॉग जगत से... आशा है कि मुझे मेरे सवालों का सार्थक व उचित उत्तर जरूर मिलेगा... तो शुरू करते हैं - 

  1. ब्लागस्पाट.कॉम या ब्लॉगर.कॉम ने हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में लिखने की सुविधा का प्रारंभ कब किया ?
  2. क्या आपको पता है कि हिंदी लेखन की सुविधा के पीछे गूगल व ब्लॉगर.कॉम के किस व्यक्ति का हाथ था ?
  3. हिंदी जगत में सबसे पहला ब्लॉग किसका था ? (कृपया संक्षेप में मुझे उनके बारे में तथा उनके ब्लॉग के बारे में बताएं...)
  4. हिंदी ब्लॉग जगत की पहले क्रांति (अगर कोई थी) तो उसका जिक्र भी मुझसे करें...
  5. हिंदी ब्लॉग एग्रीगेटर से आपका क्या अभिप्राय है ?
  6. हिंदी ब्लॉग जगत के पहले हिंदी ब्लॉग एग्रीगेटर के बारे में मुझे कुछ जानकारी चाहिए जैसे कि पहला हिंदी ब्लॉग एग्रीगेटर कोनसा है, वह किसका व्यक्ति के द्वारा बनाया गया और कब, उनका उद्देश्य तथा वर्तमान में प्रचलित सभी ब्लॉग एग्रीगेटर्स के नाम व पते इत्यादि.
  7. हिंदी ब्लॉग जगत के सबसे लोकप्रिय ब्लोग्गर्स के नाम व उनके ब्लोग्स पते मुझे बताएं...
  8. पहला ब्लॉग जो केवल भारतीय महिलाओं के लिए बनाया गया तथा किसने बनाया ?
  9. पहला ब्लॉग जो केवल किसी अभी भावक द्वारा उनके पुत्र या पुत्री के नाम से बनाया गया तथा किसने बनाया ?
  10. और ऐसे ब्लोग्स तथा ब्लॉग एग्ग्रीगेटर का नाम भी बताएं जो अब बंद हो गए हों, अगर आपको कारण पता हो तो वह भी बताएं.
  11. और अगर कोई और सूचना आप मुझे बताना चाहें तो वह भी बताएं...
मैं ये सब जानकारी इसीलिए चाहता हूँ क्योंकि आपके द्वारा दी गई जानकारियों के फलस्वरूप मैं एक पोस्ट लिख कर ये पूरी जानकारी मेरे जैसे उत्सुक ब्लोगर्स तक पहुंचा पाऊं... 
आशा है कि मुझे बहुत जल्द सारे सवालों का उत्तर मिल जायेगा वैसे भी मैं इन्टरनेट पे अपने इन सवालों का जवाब तो ढूंढ ही रहा हूँ... मैं आप सबका आभारी रहूँगा...
अगर आपको लगता है कि आपके पास जो जानकारी है वो यहाँ कमेन्ट पे देने पर ज्यादा लम्बी होगी तो आप मुझे ईमेल भी कर सकते हैं...

मेरा ईमेल है - mbarmate@gmail.com

अगर आप मेरे सवालों के जवाब मुझे ईमेल के द्वारा दें तो मुझे ज्यादा ख़ुशी होगी...

धन्यवाद 

महेश बारमाटे "माही"

फकीर अन्‍ना हजारे की टीम के करोड़पति


फकीर अन्‍ना हजारे की टीम के करोड़पति


अन्ना हजारे ने  जनलोकपाल बिल की ड्राफ़्टिंग समिति के लिये अपने अलावा चार अन्य लोगों के नाम सुझाये थे। ये नाम हैं जज संतोष हेगडे, पिता-पुत्र शांति भूषण एवं प्रशांत भूषण तथा अरविंद केजरीवाल। ये चारो व्यक्ति ड्राफ़्ट कमेटी के सदस्य हैं। उन चारो सदस्यों की संपति के जो आकडे़ प्रकाशित हुये हैं उसके अनुसार सबसे ज्यादा संपत्ति के मालिक हैं शांति भूषण, ये केन्द्र में मंत्री भी रह चुके हैं। इनकी संपत्ति में शामिल है नोएडा में चार मकान/फ़्लैट,  इलाहाबाद के एक घर में एक चौथाई हिस्सा, बंगलोर में एक फ़्लैट तथा रूड़की में खेती योग्य भूमि,  इसके अलावा बांडस, मुचुअल फ़ड तथा ज्वेलरी की लागत आंकी गई है   2, 09, 72, 80, 000  यानी शांति भूषण जी अरबपति हैं। फ़िर एक बार याद दिला देता हूं कि शांतिभूषण जी केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं।
दूसरी पायदान पर हैं शांतिभूषण जी के पुत्र प्रशांत भूषण,  इनकी अचल संपति में शामिल है दिल्ली में फ़्लैट, जंगपुरा में मकान, हिमाचल प्रदेश के कंदबारी में जमीन तथा मकान, इलाहाबाद के घर में एक चौथाई हिस्सा तथा चल संपत्ति 2, 22, 50, 000  (दो करोड़, बाइस लाख, पचास हजार)। तीसरी पायदान पर हैं जज संतोष हेगडे़, इनकी तथा इनकी पत्नी शारदा हेगडे़ के बैंक खाते में जमा हैं तीस लाख से ज्यादा की राशि,  इनका एक फ़्लैट बंगलोर के रिचमंड टाउन में है,  जिसकी कीमत है डेढ़ करोड़ रुपए। यानी तकरीबन दो करोड़ की संपत्ति के मालिक ये भी हैं। वैसे अगर इनकी संपति का आंकड़ा सही है तो संतोष हेगडे़ इमानदार दिखते हैं. एक उच्चतम न्यायालय का जज जब बेइमान हो जायेगा तो उसकी संपत्ति अरबों में होगी।
चौथी पायदान पर हैं केजरीवाल,  इनके पास आईआरएस ग्रुप हाउसिंग सोसायटी इन्द्रापुरम में एक प्लाट है जिसकी कीमत 55 लाख रुपये है। इसके अलावा 28 हजार का बैंक बैलेंस, अगर ये आंकडे़ सही हैं तो अरविंद केजरीवाल भी ईमानदार दिखते हैं, हां यह अलग बात है कि नौकरी छोड़ने के पहले प्लाट का जुगाड़ आईआरएस सोसायटी में बैठा लिया था। सबसे अंतिम पायदान पर खुद अन्ना हैं वाकई एक फ़कीर,  अपनी ढाई एकड़ जमीन में से मात्र 7 डिसमिल छोडकर, जो उनके परिवार वालों का है,  बाकी जमीन गांव के उपयोग के लिये दे चुके हैं, बैंक बैलेंस है 67 हजार रुपये और नगद राशि डेढ़ हजार। अन्ना की टीम के दो सदस्यों यानी पिता-पुत्र की संपति चौंकानेवाली है। खैर जो है सो है। मेरी सलाह है दोनों पिता-पुत्र को,  कि पहले जरूरत भर रखकर के बाकी संपति को दान करके आएं तब भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई की बात करें।

एक क्वाटर की कीमत आप क्या अंदाज़ लगाते है ??

एक क्वाटर की कीमत आप क्या अंदाज़ लगाते है
मैंने पूछा : कौन सी ?
वो बोला : आप जो पी रहे हैं
मैंने कहा : भाई प्रिंट है ११० रूपए
बोला : ली कितने में
मैंने कहा : १२५ रुपए में
वो बोला : भाईजान कैलकुलेटर उठाइये और जोडिये,
मैंने कहा : ठीक है
वो बोला ; एक ठेके में कम से कम १००० क्वाटर पर डे बिकती है
मैंने कहा : हाँ लगभग १००० बिक जाती है
बोला : एक दिन में १००० क्वाटर गुणा कीजिए १५ का
मैंने कहा : किया
वो बोला : कितना आया
मैंने कहा : १५०००
वो बोला : ऐसे ही हाफ ५०० इन टू ३० रूपए कीजिए
मैंने कहा : हाँ १५००० आया
वो बोला : ऐसे ही बोतल का २०० इन टू ६० कीजिए
मैंने कहा १२००० आया
वो बोला : अब जोडिये
मैंने कहा : हाँ एक दिन की कमाई कच्चे की ४२००० एक ठेके की
वो बोला : ४२००० एक दिन में अब ३६५ दिन का गुणा कीजिए
मैंने कहा : एक करोड़ तिरेपन लाख तीस हज़ार रूपए
वो बोला कानपुर में लगभग कितने ठेके हैं
मैंने कहा : होंगे करीब १०० से १५० के करीब
वो बोला : चलिए सौ मान लीजिये
मैंने कहा : ठीक है
वो बोला अब सौ से इसका गुणा करिए
मैंने कहा : १,५३,३०,००,००० एक अरब तिरेपन करोड़ तीस लाख रुपया सिर्फ साल का...
वो बोला :अब बोलिए भाईजान खाम-खा ये सब स्विस बैंक जा रहे है अरे उत्तर प्रदेश आ जाए देख ले

इसमें ना मीडिया बोलता है ना सरकार ना पब्लिक ना कोई नेता

क्योंकि यहाँ सभी भ्रष्टाचारी है................................
और हम सब इनको बढ़ावा दे रहे हैं क्योंकि

ये पब्लिक है इसको आदत हो चुकी है ,

क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार