6.10.11

तब क्यों छुड़वाया था पाक यात्रियों को आडवानी ने?


हाल ही भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष तथा पूर्व सांसद औंकार सिंह लखावत व जिलाध्यक्ष व पूर्व सांसद रासासिंह रावत सहित विधायक द्वय प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल ने अजमेर में बिना अनुमति के पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्री के सभा करने पर कड़ा ऐतराज करते हुए दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही के साथ केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदम्बरम तथा राज्य के गृहमंत्री शान्ति धारीवाल के इस्तीफे की मांग की है। जैसा प्रकरण है, उनकी मांग बिलकुल जायज है। बेशक अजमेर में अवैधानिक तथा सुरक्षा नियमों के विपरीत हुई पाक वाणिज्य  मंत्री मकदूम अमीन फहीम की सभा कराने तथा इसमें सीमावर्ती जिलों से हजारों की तादाद में लोगों को लाने की कार्यवाही राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा है, मगर सवाल ये उठता है क्या भाजपा नेता दोहरा मापदंड अपना  रहे हैं?
पाठकों को याद होगा कि काफी दिन पहले तीर्थराज पुष्कर में बिना वीजा के घूमते पकड़े गए पाकिस्तान के सिंध प्रांत के 66 हिंदू तीर्थ यात्रियों को कथित रूप से लालकृष्ण आडवाणी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर बिना किसी कार्यवाही के छुड़वा दिया। इतना ही नहीं उन्हें आगे की यात्रा भी जारी रखने की इजाजत दिलवा दी थी। कुछ हिंदूवादी संगठनों व भाजपा विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी के आग्रह पर आडवाणी के इस प्रकार दखल करने से एक नई बहस छिड़ गई थी।
हुआ यूं था कि जैसे ही पाकिस्तान के सिंधी तीर्थयात्रियों के बिना वीजा पुष्कर में पकड़े जाने की सूचना आई, हिंदूवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय सिंधु सभा के पदाधिकारी सक्रिय हो गए। उन्होंने पुष्कर पहुंच कर सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजानंद वर्मा पर दबाव बनाया कि उन्हें बिना किसी कार्यवाही के छोड़ दिया जाए, क्योंकि वे हिंदू तीर्थयात्री हैं। वर्मा ने उनकी एक नहीं सुनी, उलटे उन्हें डांट और दिया। बहरहाल उन्हें पाक तीर्थ यात्रियों से मिलने और उनकी सेवा-चाकरी करने छूट जरूर दे दी। जब हिंदूवादी संगठनों और विधायक प्रो. वासुदेव देवनानी को लगा कि स्थानीय स्तर पर दबाव बनाने से कुछ नहीं होगा, उन्होंने ऊपर संपर्क किया। आडवाणी को फैक्स किए और गृह मंत्रालय से भी इस मामले में नरमी बरतने का आग्रह किया। इस पर भी जब दाल नहीं गली तो पाक जत्थे में एक प्रभावशाली व्यक्ति ने भी अपने अहमदाबाद निवासी समधी के जरिए आडवाणी से मदद करने का आग्रह किया। अहमदाबाद निवासी उस व्यापारी के आडवाणी से करीबी रिश्ते होने के कारण आखिरकार उन्हें मशक्कत करनी पड़ी। जानकारी के मुताबिक आडवाणी ने अपने स्तर पर केन्द्र व राज्य के अधिकारियों से संपर्क साधा और पाक तीर्थयात्रियों को बेकसूर बता कर उन्हें छोडऩे का आग्रह किया। भारी दबाव में आखिरकार सीआईडी मुख्यालय को उन्हें बिना कोई कार्यवाही किए आगे की यात्रा के लिए जाने की इजाजत देनी पड़ी।
उसी के अनुरूप सीआईडी पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गजानंद वर्मा को यह रिपोर्ट देनी पड़ी कि तीर्थ यात्रियों ने भूल से वीजा नियमों का उल्लंघन किया है और ट्रेवल एजेंसी संचालकों ने उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं दी थी, मगर जिस तरह घटनाक्रम घूमा, उससे स्पष्ट है कि तीर्थयात्री जानते थे कि वे वीजा में उल्लेख न होने के बावजूद पुष्कर का भ्रमण कर रहे हैं। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि जत्थे में से एक यात्री ने यहां मीडिया को बताया था कि उनका पुष्कर यात्रा का कोई कार्यक्रम नहीं था, लेकिन जब उन्हें मुनाबाव में पता लगा कि पुष्कर भी एक प्रमुख तीर्थस्थल है तो मुनाबाव में भारतीय अधिकारियों ने कहा कि वीजा में पुष्कर का अलग से उल्लेख करने की जरूरत नहीं है, वे चाहें तो खाना खाने के बहाने से वहां कुछ देर घूम सकते हैं। उस यात्री ने ही दबाव बनाया था कि उन्हें मुनाबाव में भारतीय अधिकारियों ने गुमराह किया था, वरना वे पुष्कर में नहीं उतरते।
बहरहाल, सीआईडी के नरम रुख की चर्चा इस कारण उठी है क्योंकि पिछले उर्स मेले के दौरान चार पाक जायरीन भी इसी तरह बिना वीजा के पुष्कर गए और वहां ब्रह्मा मंदिर में प्रवेश करते हुए पकड़े गए तो उनके खिलाफ सीआईडी की ओर से ब्लैक लिस्टेड करने की सिफारिश की गई थी। तब सवाल ये भी उठाया गया था कि यदि भारत के हिंदू राष्ट्रीयता को छोड़ कर पाकिस्तान के हिंदुओं के प्रति सोफ्ट कॉर्नर रखते हैं तो यदि भारत के मुसलमान कभी पाकिस्तान के मुस्लिमों के प्रति सोफ्ट कॉर्नर रखते हैं तो उसमें ऐतराज क्यों किया जाता है? यानि कि धर्म निश्चित रूप से राष्ट्रों की सीमा से बड़ा है।
उससे भी बड़ी बात ये है कि एक ओर तो भाजपा बिना अनुमति के पाक मंत्री की सभा होने पर ऐतराज करती है, दूसरी ओर बिना बीजा के पुष्कर आए हिंदू पाकिस्तानियों के प्रति नरम रुख रखती है। सही क्या है और गलत क्या, यह पाठक ही तय कर सकते हैं।
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क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार