अब जोश जवानी का देखो, कैसी करवट ले डाली है !
दिल में इनके चिंगारी है, वो और भडकने वाली है !!
खुद को वह हिंदू न मुस्लिम, सिक्ख ईसाई कहता है!
पूरा भारत एक सूत्र मैं, बंधा दिखाई देता है,
तुम अब या तो खुद को बदलो, या बदलेगा तुम्हे वख्त
तनी हुई है इनकी मुठ्ठी, और इरादे बिलकुल सख्त
वंदे मातरम होठों पर है, देश प्रेम की आंधी है
और साथ मैं इनके देखो, अन्ना जैसा गाँधी है
मेरी इस छोटी सी दुनिया में आप सब का स्वागत है.... अब अपने बारे में क्या बताऊँ... सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है, ये ज़मी दूर तक हमारी है, मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ, जिससे यारी है उससे यारी है... वो आये हमारे घर में खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं...
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