मेरी इस छोटी सी दुनिया में आप सब का स्वागत है.... अब अपने बारे में क्या बताऊँ... सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है, ये ज़मी दूर तक हमारी है, मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ, जिससे यारी है उससे यारी है... वो आये हमारे घर में खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं...
9.8.11
सिरफिरा-आजाद पंछी: दोस्तों, क्या आपको "रसगुल्ले" खाने हैं
सिरफिरा-आजाद पंछी: दोस्तों, क्या आपको "रसगुल्ले" खाने हैं: "दो स्तों, हमारी गुस्ताखी माफ करना! वैसे गूगल के विद्वानों के अनुसार हमारी गलती माफ करने के काबिल नहीं हैं. फिर भी इस नाचीज़ का 'सिर-फिरा' हुआ..."
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