नवजात कन्याओं से छुटकारा पाने के आसान उपाय!
राजस्थान पत्रिका ने एक विज्ञापन प्रकाशित किया है। मकसद है कन्या हत्या रोकना। नवजात बच्चियों को जन्मते ही मार डालने की कुप्रथा पर विराम लगाना। पर इस विज्ञापन के बारे में कई पत्रकारों की राय है कि राजस्थान पत्रिका इस विज्ञापन की आड़ में कहीं न कहीं जाने या अनजाने में ही कन्या हत्या को बढ़ावा देने का काम कर रहा है। तर्क यह कि राजस्थान पत्रिका अखबार ने कन्या हत्या रोकने के लिए कन्या हत्या करने के पारंपरिक सभी तरीकों को विस्तार से बताया है और आखिर में एक छोटी सी अपील की है कि कन्या हत्या रोकें। क्या इसे जायज कहा जा सकता है? कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने पहली बार इस विज्ञापन के जरिए जाना कि नवजातों की हत्या इस तरह की जाती है या की जा सकती है।
ये तरीके कहीं न कहीं आपके दिमाग के कोने में दर्ज हो जाते हैं। हत्या के तरीकों का इतने विस्तार से वर्णन करना अपराध है। इन लोगों को कहना है कि हत्या के तरीके बताकर आप कहीं न कहीं शैतानी दिमाग या कच्चे दिमाग वाले मनुष्यों को और ज्यादा प्रशिक्षित कर रहे हैं, उकसा रहे हैं, आजमाने की प्रेरणा दे रहे हैं, और इस तरह, इस कुप्रथा को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो रहे हैं। उधर, राजस्थान पत्रिका से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि दरअसल यह विज्ञापन पढ़ते समय आदमी के दिमाग में नवजात हत्या की प्रथा के प्रति घृणा पैदा होती है। उन्हें पता चलता है कि मासूमों को कितनी बेरहमी से इन सामान्य तरीकों के जरिए मार दिया जाता है। इस तरह यह विज्ञापन मनुष्य को जाग्रत करता है, संवेदनशील बनाता है, नवजात कन्या हत्या के प्रति घृणा से भर देता है। इस तरह यह विज्ञापन अपने मकसद में कामयाब है। विज्ञापनों के जरिए कोई सामान्य सी बात अलग तरीके से कही जाती है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की नजर पड़े। यह क्रिएटिव वर्क है और इस विज्ञापन के जरिए कन्या हत्या रोकने के संदेश को बेहद मार्मिक तरीके से लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
आपकी क्या राय है? यह एक ऐसा संवेदनशील विषय है जिस पर हर किसी को अपना विचार व्यक्ति करना चाहिए ताकि इस बहस के नतीजों से राजस्थान पत्रिका प्रबंधन को अवगत कराया जा सके और इस विज्ञापन को जारी करते रहने या रोकने के बारे में एक अनुरोध पत्र भेजा जा सके। नीचे राजस्थान पत्रिका में छपा विज्ञापन प्रकाशित किया जा रहा है। इसे देखें और अपनी राय इसी पोस्ट में कमेंट के जरिए दें। -माडरेटर
1 टिप्पणी:
आपका ब्लॉग पढने के बाद मुझे ऐसा लगा कि शायद न चाहते हुए भी आपसे भी राजस्थान पत्रिका के सामान ही गलती हुई है. लेकिन आपका उद्देश्य अच्छा था ये मैं जानती हूँ .
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