नाक़द्रा था जो भंवर में छोड़ गया
पानी में आपको जलता छोड़ गया
ग़ौर से इधर उधर भी तो देखिए
आप जैसे और कितने छोड़ गया
मायूस न हो मुस्कुरा कर भूल जा
एक गया , और बहुत छोड़ गया
हर शख़्स क़ाबिले ऐतबार कहाँ
एक तजर्बा ये नसीहत छोड़ गया
मायूसी के अंधेरों में उम्मीद रौशनी फैलाना ही हमारा मिशन है।
http://mushayera.blogspot.com
मेरी इस छोटी सी दुनिया में आप सब का स्वागत है.... अब अपने बारे में क्या बताऊँ... सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है, ये ज़मी दूर तक हमारी है, मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ, जिससे यारी है उससे यारी है... वो आये हमारे घर में खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं...
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