...तो भाजपा का मानना है कि चाहे डीआईजी डी जी वंज़ारा हों ....या फिर डिप्टी पुलीस कमिश्नर अभय चुडासामा या फिर अमित शाह खुद ...ये सब देश भक्त हैं जिन्हें सोहराबुद्दीन नाम के आतंकवादी को मारने की सज़ा कांग्रेस दे रही है.
जाहिर है, कि एक शख्स जिसके पास इतनी तादाद में असला ओर गोलियां मिलें वो आंतकवादी ही तो होगा ...हालांकि ये दलील अपने आप में कितनी हास्यास्पद है, ये बात क्राईम और आतंकवाद जानने वाले लोग आपको बता देंगे.
मगर मैं सोहराबुद्दीन का महिमामंडन नहीं करना चाहता. अंग्रेजी मे कहावत हैं, '...दोज़ हू लिव बाए द गन डाई बाए द गन,' यानी जो बंदूक और हिंसा से सनी जिंदगी जीते हैं वो वैसी ही मौत मरते हैं. सोहराबुद्दीन एक हिस्ट्रीशीटर था ..एक एक्सटोरशनिस्ट था ..लिहाजा आज नहीं तो कल ...ये उसका हश्र जरूर होता. मगर सवाल ये कि क्या उसको मारने वाले देश भक्त हैं.
गौर कीजिए ....पॉप्यूलर बिल्डर्स के प्रमोटर रमन पटेल ने कहा है कि उन्होंने अमित शाह के खास अजय पटेल को वसूली के तहत सत्तर लाख रुपए दिए थे. और ये पैसे देने के लिए भाजपा के देशभक्त पुलिस अफसर वंजारा ने धमकाया था. पैसे देने के बाद खुद अमित शाह ने उन्हें कॉल किया था.
वंजारा पर ये पहला इल्जाम नहीं है वसूली का ...इससे पहले भी ये इल्जाम लगते रहे हैं कि वो बाकायदा अमित शाह और खुद अपने स्तर पर लोगों से वसूली करते रहे हैं.
अब गौर कीजिए देश भक्त नम्बर दो ..अभय चुडासामा पर. ..इन्हें भी अमित शाह की शह हासिल थी और ये न सिर्फ एक्सटोर्शन में माहिर थे, बल्कि इन्हें फिक्सर कहा जाता है, और लोगों की पोस्टिग कराने का भी भरपूर तजुर्बा हासिल है इन्हें. यही इल्जाम एसपी दिनेश एमएन पर है जिनपर राज्य के संगमरमर व्यापारियों ने जबरन वसूली का आरोप लगाया है. तो ये वो तमाम महानुभव हैं जिन्होंने सोहराबुद्दीन को जन्नत या जहन्नुम का रास्ता दिखाया और अब ये लोग भाजपा के देशभक्त हैं.
मैं नहीं जानता कि देशभक्त होने का ये कौनसा पैमाना है ...मगर ये बात तय है कि सोहराबुद्दीन की मौत इसलिए नहीं हुई क्योंकि वो देश का दुश्मन या फिर 'एनेमी ऑफ दी स्टेट' था ....बल्कि उसकी मौत के पीछे सिर्फ और सिर्फ पैसा था और कुछ नहीं.
कांग्रेस अपनी आदत से मजबूर है. वो मामले को मुस्लिम रंग देने की कोशिश कर रही है और इस बात में दो राय नहीं कि सीबीआई का अचानक इस मामले में हरकत में आ जाना बिहार की राजनीति से जुड़ा है. यानी इस मामले के दो पहलू साफ हैं. कांग्रेस का शर्मनाक माईनोरिटी कार्ड और भाजपा का हास्यास्पद देशभक्ति कार्ड. दोनों ही महान और अब मतदाता को सोचना है कि वो किस पर मोहर लगाए.
मगर माफ कीजिएगा...न ये देशभक्ति और न ही सोहराबुद्दीन का मामला मुसलमान उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है. चलिए राजनीति के इस वाहियात खेल में हम सब शरीक हैं ....और ये आगे क्या रंग दिखाएगा ..उसकी भविष्यवाणी करने के लिए भी आपको सियासत का दिग्गज जानकार होने की ज़रूरत भी नहीं है.
(अभिसार शर्मा आज तक न्यूज चैनल में डिप्टी एडीटर हैं. उपरोक्त आलेख इनके निजी विचार हैं.)
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