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मेरी इस छोटी सी दुनिया में आप सब का स्वागत है.... अब अपने बारे में क्या बताऊँ... सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है, ये ज़मी दूर तक हमारी है, मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ, जिससे यारी है उससे यारी है... वो आये हमारे घर में खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं...
5.9.11
तुम साथ साथ हो ना ?
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5 टिप्पणियां:
कभी चर्खियों के चक्कर कही शोर यातना सा
कुछ फिकरे और धक्के कुछ मुफ्त बाँटना सा
रंगीन बुलबुलों सा
कभी आसमाँ में उड़ना
ये है जिंदगी का मेला तुम साथ-साथ हो ना
सुन्दर
रिक्त हो जाता हूँ मैं
रिक्त हो जाता है मेरा शरीर
रिक्त हो जाती है मेरी आत्मा
कैसी है वो डाकिनी, जो सोख लेती है मेरी ऊर्जा
कौन सी हैं जड़ें वो, जो चूस लेती हैं मेरी प्रेरणा
कैसी है वह जमीन, जो पचा लेती है मेरा रक्त
कौन सा है विवर वह, रिस जाती है जिससे मेरी जिद
रिक्त हो जाता हूँ मैं
रिक्त हो जाता है मेरा शरीर
रिक्त हो जाती है मेरी आत्मा
कैसी है वो डाकिनी, जो सोख लेती है मेरी ऊर्जा
कौन सी हैं जड़ें वो, जो चूस लेती हैं मेरी प्रेरणा
कैसी है वह जमीन, जो पचा लेती है मेरा रक्त
कौन सा है विवर वह, रिस जाती है जिससे मेरी जिद
दिनेश जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगसपाट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
jee han ham bilkul sath hai...
achchi prastuti..vadhayi
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