2.9.11

खूब चलता है ब्लॉग जगत में औरत और मर्द का भेद भाव

खूब चलता है ब्लॉग जगत में औरत और मर्द का भेद भाव

आप भाई बंधुओ को ये पोस्ट पड़ कर अच्छा और बुरा दोनों तरह का विचार आये गा पे क्या करू मैं ये पोस्ट करने पैर मजबूर हु पर पे पोस्ट मैने भी कही से कॉपी कर के इस में कुछ फेर बदल कर के पोस्ट किया है

प्रायः देखा जाता है की ९०% पाठक सिर्फ पढ़कर चले जाते हैं, ९% पाठक कुछ थोडा बहुत लिख जाते हैं सिर्फ १ प्रतिशत पाठक ऐसे होते है जो की सक्रिय रूप से टिप्पणी देकर जाते हैं.

तो इसका मतलब एक प्रतिशत लोग आपके ब्लॉग से सक्रिय रूप से जुड़े रहते हैं.

और यह बात सभी ब्लोगों के लिए भी नहीं है. अलग अलग ब्लॉग में प्रतिशत घट या बड़ सकता है किसी ब्लॉग में टिप्पणी करने वाले ९० % भी हो सकते हैं. मगर सामान्यतया यह सत्य पाया गया है की ज्यादातर पाठक बिना कोई टिप्पणी किये चले जाते हैं. अब पाठक भी क्या करें ब्लोग्स की भीड़ ही इतनी हो गयी है. कितने ब्लोग्स पर टिप्पणी करे. पाठक को अगर कुछ रोचक मिल जाता है तो वह टिप्पणी कर जाता है, नहीं तो वह किसी दुसरे ब्लॉग का रूख करता है, वैसे हिंदी ब्लॉग जगत में एक बात है औरत और मर्द का भेद भाव खूब चलता है, किसी भी महिला ब्लोगर का ब्लॉग उठा कर देख लीजिये लगभग लगभग अधिकतर ब्लोगर टिप्पणियों के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करते मिलेंगे. जो कोई ब्लोगर कविता का क भी नहीं समझता हो वाह वाह करता मिलेगा और बेचारे मर्द ब्लोगरों को अपने लेख के लिए टिप्पणियों के लिए तरसता पाओगे. मैंने देखा की पिछले सप्ताह एक साथी ब्लोगर ने चित्र प्रतियोगिता आरम्भ की मगर को उनके ब्लॉग पर एक टिप्पणी भी करने नहीं गया और स्तनों का जोड़ा नामक शीर्षक वाले ब्लॉग पर टिप्पणियों की मारामारी हो रही थी

खेर यह तो चलता रहेगा इस संसार का नियम है ये. हमें तो खोज करनी पड़ेगी की हमारे ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा लोग कैसे जुड़ें और अपनी प्रतिक्रिया छोड़ कर जाएँ .
मैंने इन्टरनेट पर कुछ उपाय तलाश किये जिससे टिप्पणीकर्ताओं की संख्या बड़ सके. वो इस प्रकार हैं

१- टिप्पणियां आमंत्रित करें – मैंने देखा है की जब मुझे किसी पोस्ट पर टिप्पणिया चाहिए होती है तो बहुत कम मिलती है और जब नहीं तो भरमार हो जाती है. हमें पोस्ट के भीतर से ही टिप्पणियों को आमंत्रित करना चाहिए पोस्ट कुछ ऐसी होनी चाहिए की पाठक को टिप्पणी करने की आवशयकता पड़े. टिप्पणियां सिर्फ वाह वाह और शाबाशी के लिए नहीं वह आपकी कमी, आपकी गलती और आपकी अज्ञानता को इंगित कर सकती है. इसलिए पोस्ट में ऐसा कुछ लिखना चाहिए की पाठक आपसे टिप्पणी से संपर्क करे.

२. प्रश्न पूछे - पोस्ट के भीतर प्रश्न पूछें. पोस्ट में सवाल करने से निश्चित रूप से पाठक अपनी टिप्पणियों से जवाब देकर जाते हैं.

३. खुली पोस्ट लिखें - ऐसी पोस्ट लिखें जो की आपने पूरी लिख तो दी लेकिन ऐसा लगे की आपने सारे टोपिक कवर नहीं किये. पाठक को लगे की उस टोपिक के बारे में लिखना चाहिए.

४. टिप्पणी का जवाब दें - अगर आपकी पोस्ट पर आप स्वयं ही टिप्पणी नहीं करते हैं तो कोई और भाल क्यों? अगर कोई आपके ब्लॉग पर टिप्पणी करता है तो उसका जवाब उसे अवश्य दें . इससे आपके पाठकों को लगता है की उनकी टिप्पणी आपके लिए महत्व रखती है.

५. यदि कोई आपके ब्लॉग पर कठोर टिप्पणी कर जाये तो उसका जवाब विनती पूर्वक लहजे में दें .

६. विवादस्पद पोस्ट लिखें (मेरी राय में तो मत लिखें, क्यूँ किसी की भावनाओं को भड़काया जाये ) इससे टिप्पणियां काफी मिल जाती है .

और काफी प्रयास के बाद भी टिप्पणियां प्राप्त नहीं हो तो याद ही न की क्या बोलना है “मुझे मेरी किसी पोस्ट के लिए टिप्पणियों की आवशयकता नहीं मेरा काम है लिखना और मैं लिखता रहूँगा”


1 टिप्पणी:

Asha Joglekar ने कहा…

और यदि कोई टिप्पणी नही आती तो याद है ना क्या बोलना है, "मेरा काम है लिखना और मै लिखता/ती रहूंगा/गी ।
सही कहा ।

क्या इन टोटको से भर्ष्टाचार खत्म हो सकता है ? आप देखिए कि अन्ना कैसे-कैसे बयान दे रहे हैं? शरद पवार भ्रष्ट हैं। भ्रष्टाचार पर बनी जीओएम (मंत्रिसमूह) में फला-फलां और फलां मंत्री हैं। इसलिए इस समिति का कोई भविष्य नहीं है। पवार को तो मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए। पवार का बचाव करने की कोई जरूरत नहीं है। अगर पवार के मंत्रिमंडल से बाहर हो जाने से भ्रष्टाचार