गूगल, ऑरकुट और फेसबुक के दोस्तों, पाठकों, लेखकों और टिप्पणिकर्त्ताओं के नाम एक बहुमूल्य संदेश
दोस्तों, मैं हिंदी में लिखी या की हुई टिप्पणी जल्दी से पढ़ लेता हूँ और समझ भी जाता हूँ. अगर वहां पर कुछ लिखने का मन करता है. तब टिप्पणी भी करता हूँ और कई टिप्पणियों का प्रति उत्तर भी देता हूँ या "पसंद" का बटन दबाकर अपनी सहमति दर्ज करता हूँ. अगर मुझे आपकी बात समझ में ही नहीं आएगी. तब मैं क्या आपकी विचारधारा पर टिप्पणी करूँगा या "पसंद" का बटन दबाऊंगा? कई बार आपके सुन्दर कथनों और आपकी बहुत सुन्दर विचारधारा को अंग्रेजी में लिखे होने के कारण पढने व समझने से वंचित रह जाता हूँ. इससे मुझे बहुत पीड़ा होती है, फिर मुझे बहुत अफ़सोस होता है.अत: आपसे निवेदन है कि-आप अपना कमेंट्स हिंदी में ही लिखने का प्रयास करें. आइये दोस्तों, इस बार के "हिंदी दिवस" पर हम सब संकल्प लें कि-आगे से हम बात हिंदी में लिखेंगे/बोलेंगे/समझायेंगे और सभी को बताएँगे कि हम अपनी राष्ट्र भाषा हिंदी (और क्षेत्रीय भाषाओँ) को एक दिन की भाषा नहीं मानते हैं. अब देखते हैं, यहाँ कितने व्यक्ति अपनी हिंदी में टिप्पणियाँ करते हैं? अगर आपको हिंदी लिखने में परेशानी होती हो तब आप यहाँ (http://www.google.co.in/transliterate) पर जाकर हिंदी में संदेश लिखें .फिर उसको वहाँ से कॉपी करें और यहाँ पर पेस्ट कर दें. आप ऊपर दिए लिंक पर जाकर रोमन लिपि में इंग्लिश लिखो और स्पेस दो.आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा.जैसे-dhanywad = धन्यवाद. दोस्तों, आखिर हम कब तक सारे हिन्दुस्तानी एक दिन का "हिंदी दिवस" मानते रहेंगे? क्या हिंदी लिखने/बोलने/समझने वाले अनपढ़ होते हैं? क्या हिंदी लिखने से हमारी इज्जत कम होती हैं? अगर ऐसा है तब तो मैं अनपढ़, गंवार व अंगूठा छाप हूँ और मेरी पिछले 35 सालों में इतनी इज्जत कम हो चुकी है, क्योंकि इतने सालों तक मैंने सिर्फ हिंदी लिखने/ बोलने/ समझने के सिवाय कुछ किया ही नहीं है. अंग्रेजी में लिखी/कही बात मेरे लिए काला अक्षर भैंस के बराबर है.आप सभी यहाँ पर पोस्ट और संदेश डालने वाले दोस्तों को एक विनम्र अनुरोध है.आप इसको स्वीकार करें या ना करें. यह सब आपके विवेक पर है और बाकी आपकी मर्जी. जो चाहे करें. आपका खुद का मंच या ब्लॉग है. ज्यादा से ज्यादा यह होगा. आप जो भी पोस्ट और संदेश अंग्रेजी में डालेंगे.उसको हम(अनपढ़,अंगूठा छाप) नहीं पढ़ पायेंगे. अगर आपका उद्देश्य भी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपना संदेश पहुँचाने का है और आपके लिखें को ज्यादा व्यक्ति पढ़ें. तब हमारे सुझाव पर जरुर ध्यान देंगे. आपकी अगर दोनों भाषाओँ पर अच्छी पकड़ है. तब उसको ध्दिभाषीय में डाल दिया करें. अगर संभव हो तो हिंदी में डाल दिया करें या फिर ध्दिभाषीय में डाल दिया करें.मेरा विचार हैं कि अगर आपकी बात को समझने में किसी को कठिनाई होती है. तब आपको हमेशा उस भाषा का प्रयोग करना चाहिए जो दूसरों को आसानी से समझ आ जाये. बुरा ना माने. बात को समझे. जैसे- मुझे अंग्रेजी में लिखी बात को समझने में परेशानी होती है. पूरा लेख पढने के लिए यहाँ क्लिक करें
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दोस्तों, क्या आप सोच सकते हैं कि अनपढ़ और गँवार लोगों का भी कोई ग्रुप इन्टरनेट की दुनिया पर भी हो सकता है. मैं आपका परिचय एक ऐसे ही ग्रुप से करवा रहा हूँ. जो हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु हिंदी प्रेमी कहूँ या विद्वानों ने मिलकर बनाया है. जो अपना "नाम" करने पर विश्वास नहीं करते हैं बल्कि अच्छे "कर्म" करने के साथ ही देश प्रेम की भावना से प्रेरित होकर अपने आपको "अनपढ़ और गँवार" की संज्ञा से शोभित कर रहे हैं. अगर आपको विश्वास नहीं हो रहा, तब आप इस लिंक पर जाकर देख लो. http://www.facebook.com/groups/157691930985094/ क्या आप भी उसमें शामिल होना चाहेंगे?
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