औरत एक शरीर से ज़्यादा क्या है ?
उसकी फ़ितरत , उसकी सोच और उसकी हक़ीक़त क्या है ?
उसका रिश्ता और उसका रूतबा समाज में क्या है ?
उसकी मंज़िल क्या है और उसे वह कैसे पा सकती है ?
अपने रास्ते में वह कौन सी रूकावटें देखती है ?
एक औरत के रूप में वह अपने अतीत और वर्तमान को कैसे देखती है ?
बेटी , बहन , बीवी और माँ , इन रिश्तों के बारे में , ख़ास तौर पर माँ के रूप के बारे में एक औरत की सोच और उसका जज़्बा क्या होता है ?
अगर इन सब बातों को आज तक कलाकार नहीं जान पाए तो यह उनकी कमी तो है ही लेकिन औरत की भी कमी है कि आख़िर वह आज तक दुनिया को बता क्यों नहीं पाई कि वह महज़ एक शरीर नहीं है । अगर उसने बताया होता तो आज औरत का रूतबा हमारे समाज में कुछ और होता ।
औरत वास्तव में क्या है ?
इसे अगर सचमुच ठीक तौर पर कोई बता सकता है तो वह है ख़ुद औरत ।
औरत बताए और मर्द सुने और समझे ।
माँ के रूतबे तक पहुंचने से पहले एक औरत जिन मुश्किल इम्तेहानों से गुज़रती है और जो कुछ भी वह महसूस करती है , वह सब अब हमारे सामने आ जाना चाहिए ताकि अगर पहले औरत को न जाना जा सका हो तो न सही लेकिन उस गलती को अब तो सुधार लिया जाए । अगर ऐसा हो गया तो यक़ीनन तब हमारा भविष्य वैसा भयानक और अंधेर न होगा जैसा कि अतीत में रह चुका है और वर्तमान चल ही रहा है ।
औरत केवल एक शरीर नहीं होती ।
दुनिया को अगर बदलना है तो उसकी सोच को बदलना ही होगा और यह काम भी औरत को खुद ही करना होगा । नेक मर्द उसका साथ जरूर देंगे क्योंकि वे भी तो जानना चाहते हैं कि औरत आखिर है क्या ? आज महिला दिवस हे कम से कम एक वादा अपनी पत्नी से करो की मै ओरतों की रक्षा जान जोखिम में डाल कर भी करूँगा,एक वादा और बहुत सी दुआंए उस वादे के पीछे आयेगी |
उसकी फ़ितरत , उसकी सोच और उसकी हक़ीक़त क्या है ?
उसका रिश्ता और उसका रूतबा समाज में क्या है ?
उसकी मंज़िल क्या है और उसे वह कैसे पा सकती है ?
अपने रास्ते में वह कौन सी रूकावटें देखती है ?
एक औरत के रूप में वह अपने अतीत और वर्तमान को कैसे देखती है ?
बेटी , बहन , बीवी और माँ , इन रिश्तों के बारे में , ख़ास तौर पर माँ के रूप के बारे में एक औरत की सोच और उसका जज़्बा क्या होता है ?
अगर इन सब बातों को आज तक कलाकार नहीं जान पाए तो यह उनकी कमी तो है ही लेकिन औरत की भी कमी है कि आख़िर वह आज तक दुनिया को बता क्यों नहीं पाई कि वह महज़ एक शरीर नहीं है । अगर उसने बताया होता तो आज औरत का रूतबा हमारे समाज में कुछ और होता ।
औरत वास्तव में क्या है ?
इसे अगर सचमुच ठीक तौर पर कोई बता सकता है तो वह है ख़ुद औरत ।
औरत बताए और मर्द सुने और समझे ।
माँ के रूतबे तक पहुंचने से पहले एक औरत जिन मुश्किल इम्तेहानों से गुज़रती है और जो कुछ भी वह महसूस करती है , वह सब अब हमारे सामने आ जाना चाहिए ताकि अगर पहले औरत को न जाना जा सका हो तो न सही लेकिन उस गलती को अब तो सुधार लिया जाए । अगर ऐसा हो गया तो यक़ीनन तब हमारा भविष्य वैसा भयानक और अंधेर न होगा जैसा कि अतीत में रह चुका है और वर्तमान चल ही रहा है ।
औरत केवल एक शरीर नहीं होती ।
दुनिया को अगर बदलना है तो उसकी सोच को बदलना ही होगा और यह काम भी औरत को खुद ही करना होगा । नेक मर्द उसका साथ जरूर देंगे क्योंकि वे भी तो जानना चाहते हैं कि औरत आखिर है क्या ? आज महिला दिवस हे कम से कम एक वादा अपनी पत्नी से करो की मै ओरतों की रक्षा जान जोखिम में डाल कर भी करूँगा,एक वादा और बहुत सी दुआंए उस वादे के पीछे आयेगी |
1 टिप्पणी:
रिश्ते हुए तार तार
फिर मूल्यों की हुई हार
मानवता मूक लाचार खड़ी
फिरे दानवता अकड़ी अकड़ी ,,
फिर हुई देखो ,,,,,
वहशी दरिन्दे का शिकार
मसल दी गई नन्ही कली
खिलने से पहले फिर एक बार
वो बिटिया जिसकी आँखों
में थे सपनें ,,
लूट गये जिन्हें ,थे जो अपने
क्या जाने मासूम कली वो
क्या होता है व्यभिचार ?
कौन बनेगा इनका रक्षक ?
अपने ही जब बन गये भक्षक
भोली मासूम क्या जाने की ?
आँखों की भूख ,,भूखा सा प्यार
कब जाती रहेंगी ये भोगी ?
कब सुनवाई इनकी भी होगी
कल का भविष्य क्या होगा उज्जवल ?
सहमा लुटा सा बचपन है जब आज ?
नाज देश पर करने वालो ...
नारी को देवी कहने वालो ..
कब तक करोगे अनसुनी अनदेखी
इनकी पीड़ा इनकी चीत्कार ??/
देना है तो कुछ सम्मान दो
इनको भी जीने का मान दो
खुल कर खोलने दो बचपन इनका
लेने दो इनके सपनो को भी आकार
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