मत रोको माँ!
मुझे मिट जाने दो
ताकि
इस अग्निपरीक्षा से
गुजरना न पड़े मुझको,
मिट ही जाने दो
इस अबोली/ अदेखी को
ताकि
बार बार मिटने का दुःख
बाकी न रह जाए
तुम्हारी तरह!
मत रोको माँ!
अपनी कोख की तरफ बढ़ते
इन हत्यारे हाथों को,
अलबत्ता रोक लो
ये आंसू...
ये छटपटाहट
क्योकि-
इनमे तुम मुझे छिपा नहीं पाओगी
मैं
अपूर्ण ही सही पहचान ली गयी हूँ!!
मुझे मिट जाने दो
ताकि
इस अग्निपरीक्षा से
गुजरना न पड़े मुझको,
मिट ही जाने दो
इस अबोली/ अदेखी को
ताकि
बार बार मिटने का दुःख
बाकी न रह जाए
तुम्हारी तरह!
मत रोको माँ!
अपनी कोख की तरफ बढ़ते
इन हत्यारे हाथों को,
अलबत्ता रोक लो
ये आंसू...
ये छटपटाहट
क्योकि-
इनमे तुम मुझे छिपा नहीं पाओगी
मैं
अपूर्ण ही सही पहचान ली गयी हूँ!!
3 टिप्पणियां:
bahut hi saarthk post
मैं
अपूर्ण ही सही पहचान ली गयी हूँ!!'
अत्यंत मार्मिक ... मानवीय मूल्यों का पतन और कहाँ तक?
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