जब लोग महिला दिवस पर नारी अधिकारों को लेकर भाषण दे रहे थे और समानता का ढंका पीटा जा रहा था उसी समय एक सिरफिरे आशिक ने डीयू के रामलाल आनंद कॉलेज की स्टूडेंट राधिका तंवर की हत्या कर दी. खैर क्योंकि मामला देश की राजधानी का था, ऐसे में मीडिया की सुर्खियों में छाया रहा और आखिरकार मुंबई से राधिका के कातिल को पकड़ लिया गया. सच्चाई अब लोगो के सामने है कि किस तरह विजय उर्फ राम सिंह कई सालों से राधिका को तंग करता आ रहा था, उसे लेकर ओवर पजेसिव भी था. यह कोई पहला मामला नहीं है जब किसी लड़की ने किसी सरफिरे के प्रपोजल को नकार दिया और इसकी कीमत उसे जान देकर चुकानी पड़ी हो. महत्वपूर्ण बात यह है कि जब भी किसी लड़की से जुड़ा मामला सामने आता है तो दूसरे कारणों को देखने की बजाय पुलिस और यहां तक कि मीडिया भी प्रेम-प्रसंग की जलेबी छानने के लिए तैयार दिखता है. कुछ साल पहले की बात है. मेरे होम टाउन में मुझे एक महिला मिली जिसकी आठ साल की बच्ची लापता हो गई थी. मजदूर महिला और उसके पति का रो-रोकर बुरा हाल था. थाने में महिला ने अपनी आपबीती बताई कि उसकी आठ साल की बच्ची को खोजने के लिए पुलिस कोई काम नहीं कर रही है. हमसे उल्टे-सीधे सवाल किए जाते हैं. पुलिसवालों का कहना है कि मेरी बेटी का किसी से चक्कर रहा होगा, भाग गई होगी उसके साथ.
ऐसा अक्सर होता है. फिर चाहे वह रेप का मामला हो, अपहरण या हत्या का….अगर मामला लड़की से जुड़ा है तो यह मान लिया जाता है कि प्रेम प्रसंग का ही होगा. कुछ साल पहले यूपी में नौ साल की बच्ची के साथ रेप और उसके बाद हत्या की घटना को दबाने के लिए पुलिस ने यहां तक कह दिया कि नौ साल की यह बच्ची प्रेग्नेंट थी. मामला स्कूल एडमिनिस्टे्रशन से जुड़ा था. लड़की की मां ने न्याय की लड़ाई लड़ी और आखिरकार दोषी को सजा दिला दी. अगर लड़की है तो क्या उसके पास प्रेम-प्रसंग के अलावा और कोई काम ही नहीं रह गया है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो अक्सर हमारे मन में घूमते हैं. लड़की का अगर किसी ने अपहरण कर लिया है तो पुलिस प्रेम-प्रसंग का मामला मानकर ही तहकीकात करती है, महिला की हत्या हो गई हो तो मामला अवैध संबंध तक पहुंच जाता है. अपराध अगर किसी लड़के से जुड़ा हो तो दूसरे प्वाइंट्स पर भी जांच शुरु होती है, जबकि लड़की से जुड़े मामले को केवल प्रेम-प्रसंग से ही जोड़कर देखा जाता है. फिर चाहे वह आठ साल की बच्ची ही क्यों न हो.
ऐसा अक्सर होता है. फिर चाहे वह रेप का मामला हो, अपहरण या हत्या का….अगर मामला लड़की से जुड़ा है तो यह मान लिया जाता है कि प्रेम प्रसंग का ही होगा. कुछ साल पहले यूपी में नौ साल की बच्ची के साथ रेप और उसके बाद हत्या की घटना को दबाने के लिए पुलिस ने यहां तक कह दिया कि नौ साल की यह बच्ची प्रेग्नेंट थी. मामला स्कूल एडमिनिस्टे्रशन से जुड़ा था. लड़की की मां ने न्याय की लड़ाई लड़ी और आखिरकार दोषी को सजा दिला दी. अगर लड़की है तो क्या उसके पास प्रेम-प्रसंग के अलावा और कोई काम ही नहीं रह गया है? यह कुछ ऐसे सवाल हैं जो अक्सर हमारे मन में घूमते हैं. लड़की का अगर किसी ने अपहरण कर लिया है तो पुलिस प्रेम-प्रसंग का मामला मानकर ही तहकीकात करती है, महिला की हत्या हो गई हो तो मामला अवैध संबंध तक पहुंच जाता है. अपराध अगर किसी लड़के से जुड़ा हो तो दूसरे प्वाइंट्स पर भी जांच शुरु होती है, जबकि लड़की से जुड़े मामले को केवल प्रेम-प्रसंग से ही जोड़कर देखा जाता है. फिर चाहे वह आठ साल की बच्ची ही क्यों न हो.
4 टिप्पणियां:
U ARE SURELY A FEMNIST, HATS OFF TO UR THOUGHTS!
Ispasht va satik - Ati utam -*****
बहुत अच्छा मुद्दा उठाया आपने ------- विचारणीय है।
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