मेरी इस छोटी सी दुनिया में आप सब का स्वागत है.... अब अपने बारे में क्या बताऊँ... सिलसिला ज़ख्म ज़ख्म जारी है, ये ज़मी दूर तक हमारी है, मैं बहुत कम किसी से मिलता हूँ, जिससे यारी है उससे यारी है... वो आये हमारे घर में खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं...
20.11.11
12.11.11
इस लिंक का विस्तार आपके वेब पन्ने पर भी करेंगे...
धार्मिक भावना के साथ साथ दिशा दर्शन हेतु सदैव पठनीय है !
जीवन दर्शन का मैनेजमेंट सिखाती है ! पर संस्कृत में है !
हममें से कितने ही हैं जो गीता पढ़ना समझना तो चाहते हैं पर संस्कृत नहीं जानते !
मेरे ८४ वर्षीय पूज्य पिता प्रो सी बी श्रीवास्तव विदग्ध जी संस्कृत व हिन्दी के विद्वान तो हैं ही , बहुत ही अच्छे कवि भी हैं , उन्होने महाकवि कालिदास कृत मेघदूत तथा रघुवंश के श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद किये , वे अनुवाद बहुत सराहे गये हैं . हाल ही उन्होने श्रीमद्भगवत गीता का भी श्लोकशः पद्यानुवाद पूर्ण किया . जिसे वे भगवान की कृपा ही मानते हैं .
उनका यह महान कार्य http://vikasprakashan.blogspot.com/ पर सुलभ है . रसास्वादन करें . व अपने अभिमत से सूचित करें . कृति को पुस्तकाकार प्रकाशित करवाना चाहता हूं जिससे इस पद्यानुवाद का हिन्दी जानने वाले किन्तु संस्कृत न समझने वाले पाठक अधिकतम सदुपयोग कर सकें . नई पीढ़ी तक गीता उसी काव्यगत व भावगत आनन्द के साथ पहुंच सके .
प्रसन्नता होगी यदि इस लिंक का विस्तार आपके वेब पन्ने पर भी करेंगे . यदि कोई प्रकाशक जो कृति को छापना चाहें , इसे देखें तो संपर्क करें ..०९४२५८०६२५२, विवेक रंजन श्रीवास्तव
11.11.11
माँ : खोज एक गीत की
शायद सन 1991-92 की बात होगी, जब नरसिम्हा राव भारत के प्रधानमंत्री हुआ करते थे और एन डी ए सरकार के इण्डिया शाइनिंग की तरह उन दिनों टीवी पर एक विज्ञापन बहुत चला करता था, जिसमें बताया जाता था कि किस तरह नरसिम्हा राव ने भारत की तस्वीर बदल दी।
विज्ञापन में एक महिला खुशखुशाल भाग कर घर में आती है और अपनी संदूक में कपड़ों के नीचे से एक तस्वीर निकालकर अपनी साड़ी से पोंछती है, यह तस्वीर नरसिम्हाराव जी की होती है। पार्श्व में एक गीत भी चलता रहता है।
इस विज्ञापन के साथ उन दिनों एक गाना भी टीवी पर बहुत दिखता था। यह गाना सागरिका (मुखर्जी) के एक अल्बम का था और जिसमें सागरिका अपनी माँ के लिये कहती है…प्रेम की मूरत दया की सुरत, ऐसी और कहां है, जैसी मेरी माँ है
मुझे पॉप बिल्कुल नहीं भाते पर यह गीत एक पॉप गायिका ने गाया था और पता नहीं क्यों यह गाना मुझे बहुत पसंद था। धीरे धीरे इस गीत को सब भूलते गये, (शायद सागरिका भी) पर मैं इस गाने को बहुत खोजता रहा पर मुझे नहीं मिला। क्यों कि एल्बम का नाम पता नहीं था और सागरिका कोई बहुत बड़ी स्टार गायिका भी नहीं थी कि गीत की कुछ लाईनों से गीत खोज लिया जाता।
हैदराबाद में साईबर कॉफे चलाते हुए नेट पर भी बहुत खोजा पर यह गीत नहीं मिला, यूनुस भाई से अनुरोध किया तो उन्होने कहा, गीत छोड़िये हम सागरिका का एक इन्टर्व्यू ही कर लेते हैं। पर शायद सागरिका अपने परिवार के साथ विदेश में रहती है इस वजह से अब तक वह भी नहीं हो पाया।
कुछ दिनों पहले मैने एक सीडी की दुकान वाले को ५०/- एडवान्स दिये और उसे कहा तो उसने भी चार दिन पास पैसे वापस लौटा दिये और कहा कि भाई मुझे सीडी नहीं मिली।
मेरे एक मित्र कम ग्राहक अनुज से यह बात की तो उन्होने मुझे चैलेन्ज दिया कि वह इस गीत को दो दिन में खोज लेंगे और वाकई उन्होने खोज भी दिया। धन्यवाद अनुज भाई।
लीजिये आप भी इस गीत को सुनिये । और हाँ इस गीत को लिखा है निदा फ़ाज़ली ने। इस गीत को सागरिका ने जैसे सच्चे दिल से गाया है, अपनी माँ को याद करते हुए। तभी यह गीत इतना मधुर बन पाया है। गीत सुनते हुए मुझे मेरी माँ याद आती है। आपको आती है कि नहीं? बताईयेगा।
धूप में छाय़ा जैसी
प्यास में नदिया जैसी
तन में जीवन जैसे
मन मैं दर्पन जैसे
हाथ दुवा वाले
रोशन करे उजाले
फूल पे जैसे शबनम
साँस में जैसे सरगम
प्रेम की मूरत दया की सुरत
ऐसी और कहां है
जैसी मेरी माँ है
जहान में रात छाये
वो दीपक बन जाये
जब कभी रात जगाये
वो सपना बन जाये
अंदर नीर बहाये
बाहर से मुस्काये
काया वो पावन सी
मथुरा वृंदावन जैसी
जिसके दर्शन मैं हो भगवन
ऐसी और कहां है
जैसी मेरी माँ है
( इस प्लेयर को लगाने का सुझाव श्री अफलातूनजी ने दिया। वर्डप्रेस.कॉम पर गाने चढ़ाना बहुत मुश्किल काम है। यह जुगाड़ अच्छा है पर इसकी प्रक्रिया बहुत ही लम्बी है, फिर भी एक शुरुआत तो हुई, धन्यवाद
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